यूपी के शहर बरेली में मजहबी जुलूस को लेकर फिर टकराव होते-होते बचा। मिश्रित आबादी वाले पुराना शहर इलाके में जुलूस-ए-मोहम्मदी को नए रूट पर ले जाने की कोशिश की गई तो हिन्दू समाज ने इसका विरोध किया। महिलाएं भी मैदान में उतर आईं और नए परंपरा डालने का जाने का प्रयास विफल कर दिया। हंगामे के बीच पुलिस, पीएसी के साथ आरएएफ ने दोनों ओर की भीड़ के बीच दीवार बनकर टकराव टाल दिया। बाद में जुलूस पांरपरिक रूट से ही गुजारा गया।
बरेली महानगर का पुराना शहर खास संवेदनशील है। कांवड़ यात्रा के दौरान यहां जोगी नवादा में बड़ा बवाल हुआ था और हालात संभालने में नाकाम रहे एसएसपी प्रभाकर चौधरी को शासन ने हटा भी दिया था। ऐसे में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र से जुलूस ए मोहम्मदी को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर रखे थे। हर तरफ पुलिस, पीएसी के साथ रैपिड एक्शन फोर्स का पहरा बिठाया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुराना शहर के मीरा की पैठ इलाके में जुलूस से जुड़ी अंजुमन को नए रूट से ले जाने की कोशिश की गई। हिन्दू समाज के लोगों ने इसका विरोध किया तो हंगामा शुरू हो गया। देखते देखते दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए।
नई परंपरा डाले जाने की कोशिश का पता होते ही बड़ी संख्या में हिन्दू समाज की महिलाएं भी सड़कों पर आ गईं और रास्ते पर बैठकर विरोध शुरू कर दिया। पुलिस तुरंत ही दोनों ओर की भीड़ के बीच दीवार न बनी होती तो हालात टकराव के बन सकते थे। विवाद की सूचना पर एसपी सिटी राहुल भाटी पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों के साथ मौके पर पहुंच गए और लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया। घंटों मौके पर तनाव की स्थिति बनी रही। हंगाम कर रही भीड़ को पुलिस ने मौके से खदेड़ दिया और नए रास्ते की जगह जुलूस को पुराने रूट से ही गुजारकर माहौल शांत किया। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि जुलूस को गुजार दिया गया। मौके पर किसी तरह का विवाद नहीं है। बरेली शहर में आज भी जुलूस निकाले जा रहे हैं। प्रशासन ने हर तरफ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं।