कासगंज में चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले में NIA कोर्ट ने 28 आरोपितों को दोषी माना है। 2 आरोपितों को बरी कर दिया गया है। यह सुनवाई उत्तर प्रदेश के लखनऊ NIA कोर्ट में गुरुवार (2 जनवरी, 2025) को हुई है। इन 28 आरोपितों को शुक्रवार (3 जनवरी, 2025) को सजा सुनाई जाएगी। चंदन गुप्ता हत्याकांड में इस फैसले को लेकर लम्बे समय से परिवार इंतजार कर रहा था। चंदन गुप्ता की हत्या मुस्लिमों ने 26 जनवरी, 2018 को कर दी थी जब वह एक तिरंगा यात्रा में शामिल थे।
NIA स्पेशल कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्याकांड में आसिफ कुरैशी उर्फ हिटलर, असलम, असीम, शबाब, साकिब, मुनाजिर रफी, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू, अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ जिम वाला, निशु, वासिफ, इमरान , शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, शाकिर, जाहिद उर्फ जग्गा को दोषी माना है। इन्हें हत्या समेत कई धाराओं में कोर्ट में दोषी ठहराया है। इन्हें शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी।
चंदन गुप्ता हत्याकांड में 28 आरोपितों को दोषी करार दिए जाने का फैसला न्याय के एक महत्वपूर्ण पड़ाव को दर्शाता है, जिसने इस मामले से जुड़े परिवार और समाज को लंबे समय तक प्रतीक्षा में रखा। यह घटना न केवल एक निर्दोष युवक की क्रूर हत्या को रेखांकित करती है, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव और न्याय प्रक्रिया के जटिल पहलुओं को भी उजागर करती है।
मुख्य बिंदु:
- घटना की पृष्ठभूमि:
- 26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस पर चंदन गुप्ता और अन्य युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाली थी।
- यात्रा पर हुए हमले के दौरान चंदन को गोली मार दी गई, जिससे उनकी मौत हो गई।
- एनआईए कोर्ट का फैसला:
- लखनऊ की एनआईए विशेष अदालत ने 28 आरोपितों को हत्या और अन्य गंभीर धाराओं में दोषी ठहराया।
- 2 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
- शुक्रवार (3 जनवरी 2025) को सजा का ऐलान किया जाएगा।
- परिवार की स्थिति:
- चंदन के पिता सुशील गुप्ता ने केस के दौरान आई कठिनाइयों और धमकियों का जिक्र किया।
- परिवार को वादों के बावजूद सरकारी सहायता और सुरक्षा में कमी का सामना करना पड़ा।
- चंदन की बहन और माता भावनात्मक और मानसिक पीड़ा से गुजर रही हैं।
- सरकारी वादों की हकीकत:
- चंदन के नाम पर एक चौराहे का नामकरण और उनकी बहन को नौकरी देने का वादा अधूरा रह गया।
- परिवार को मिली सहायता मुख्यतः कानूनी लड़ाई में खर्च हो गई।
- सामाजिक और कानूनी मुद्दे:
- आरोपितों का प्रभाव और उनकी जमानत से परिवार पर दबाव बना।
- गवाहों का पीछे हटना और परिवार का संघर्ष न्याय प्रक्रिया की चुनौतियों को दर्शाता है।
क्या था कासगंज दंगे का मामला?
दरअसल, 26 जनवरी 2018 को कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता तिरंगा और भगवा झंडे के साथ करीब 100 मोटरसाइकिलों पर सवार होकर यात्रा निकाल रहे थे, जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता चंदन गुप्ता भी शामिल थे। यात्रा के दौरान कुछ मुस्लिम युवकों के साथ झड़प हो गई। इस हिंसक झड़प में चंदन गुप्ता को गोली मारकर हत्या कर दी गई। चंदन की मौत के बाद कासगंज में हालात कई दिनों तक खराब थे। कासगंज में करीब एक हफ्ते तक दंगे हुए थे।
भावुक हो गए थे पिता
सुशील गुप्ता ने बताया था कि चंदन की हत्या में आरोपित 29 नामजदों में से 28 जेल से बाहर आ गए हैं। हाई कोर्ट से इन सबको जमानत मिल गई थी। सुशील गुप्ता ने बताया था कि आरोपित आर्थिक तौर पर मजबूत हैं, इसके कारण उन्हें मुकदमा लड़ने में सहूलियत है।
गुप्ता ने कहा था, “कासगंज कोर्ट में जब सुनवाई होती थी तो हमारी तरफ से 3-4 लोग होते थे, जबकि आरोपितों की तरफ से 100-200 लोग जमा हो जाते थे। वे दवाब बनाने की कोशिश करते थे। इसलिए हमने अपने पैसे से हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ा और केस लखनऊ ट्रांसफर करवाया है। अब हम पैरवी के लिए लखनऊ बिना सुरक्षा के जाते हैं।”
सुशील गुप्ता के मुताबिक, “चंदन की हत्या के केस में आधे दर्जन से अधिक गवाह थे। लेकिन, अब एकाध को छोड़ अन्य गवाही देने से पीछे हट रहे हैं। अब उनका ही बेटा चश्मदीद गवाह बचा है। इसलिए परिवार उसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहता है।”