उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में लगभग दो साल आठ महीने बाद न्यायपालिका ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने इस निर्मम हत्या के दोषियों — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — को कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर विभिन्न धाराओं के तहत जुर्माना भी लगाया गया है।
कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें:
तीनों दोषियों को क्या सजा हुई?
दोषी | धारा | सजा | जुर्माना |
---|---|---|---|
पुलकित आर्य | IPC 302 (हत्या) | कठोर आजीवन कारावास | ₹50,000 |
IPC 201 (सबूत मिटाना) | 5 साल कठोर कारावास | ₹10,000 | |
IPC 354A (यौन उत्पीड़न) | 2 साल कठोर कारावास | ₹10,000 | |
ITPA 3(1)(D) | 5 साल कठोर कारावास | ₹2,000 | |
कुल | अलग-अलग सजाएं साथ चलेंगी | ₹72,000 |
दोषी | धारा | सजा | जुर्माना |
---|---|---|---|
सौरभ भास्कर अंकित गुप्ता | IPC 302 | कठोर उम्रकैद | ₹50,000 |
IPC 201 | 5 साल कठोर कारावास | ₹10,000 | |
ITPA 3(1)(D) | 5 साल कठोर कारावास | ₹2,000 | |
कुल | उम्रकैद के साथ अन्य सजाएं साथ चलेंगी | ₹62,000 (प्रत्येक) |
- सभी दोषियों को 4 लाख रुपये का प्रतिकर मृतका के परिवार को देना होगा।
हत्या की पृष्ठभूमि:
- तारीख: 18 सितंबर 2022
- स्थान: यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
- पीड़िता: अंकिता भंडारी (19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट)
- आरोप: रिसॉर्ट संचालक पुलकित आर्य द्वारा अपने दो साथियों के साथ मिलकर नहर में धक्का देकर हत्या।
- मकसद: अभियोजन के अनुसार, किसी अनैतिक दबाव या विवाद को लेकर टकराव हुआ, जिसके बाद हत्या की गई।
जांच और सुनवाई में मुख्य बिंदु:
- 100 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज
- SIT द्वारा 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल
- 3 बार सरकारी वकील बदले गए
- 23 सितंबर 2022 को तीनों आरोपी गिरफ्तार हुए
- गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज
- पूछताछ में आरोपियों ने हत्या स्वीकार की
सरकारी कदम:
- पीड़िता के परिजनों को ₹25 लाख की सहायता (धामी सरकार द्वारा)
- परिजनों को सरकारी नौकरी दी गई
- भाजपा ने तत्कालीन नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित को पार्टी से निष्कासित किया
सामाजिक प्रतिक्रिया:
- पूरे उत्तराखंड और देश भर में लोगों ने जबरदस्त आक्रोश व्यक्त किया
- सड़क पर प्रदर्शन, मोमबत्ती मार्च, और न्याय की मांग तेज हुई
- इस केस ने राजनीतिक, सामाजिक और न्यायिक हलकों में गहरी हलचल मचा दी थी
यह फैसला उत्तराखंड की न्यायपालिका का एक मजबूत संदेश है कि कानून के हाथ लंबे हैं और कोई भी व्यक्ति — चाहे वह किसी रसूखदार परिवार से क्यों न हो — कानून से ऊपर नहीं है। अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की इस प्रक्रिया ने पूरे देश को झकझोर दिया और न्यायिक प्रक्रिया की प्रामाणिकता पर लोगों का भरोसा मजबूत किया है।