क्या हुआ था?
बिहार की राजधानी पटना के हनुमान नगर में रहने वाले डॉ. राधा मोहन प्रसाद और उनकी पत्नी डॉ. छवि प्रसाद को 21 मई 2025 से लगातार 12 दिनों तक साइबर ठगों ने डिजिटल तरीके से बंधक (डिजिटल अरेस्ट) बना कर रखा और उनसे 1.95 करोड़ रुपये ठग लिए।
अपराधियों ने कैसे किया धोखा?
- CBI अफसर बनकर पहला कॉल:
ठगों ने खुद को CBI अधिकारी बताया और कहा कि मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। - फर्जी वीडियो कॉल्स का इस्तेमाल:
- पहले एक व्यक्ति ने खाकी वर्दी पहनकर वीडियो कॉल किया।
- कॉल की बैकग्राउंड एक फर्जी पुलिस स्टेशन जैसी बनाई गई थी।
- फिर एक कथित वकील और जज से वीडियो कॉल करवाई गई।
- डराने और मानसिक दबाव बनाने की रणनीति:
- कहा गया कि कोई “हमारा आदमी” उनके पीछे है।
- उन्हें धमकाया गया कि अगर मुंबई नहीं आए तो घर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
- बैंक में भी उन्हें निगरानी में होने का डर दिखाया गया।
- पैसे ट्रांसफर करवाना:
डर और मानसिक दबाव में आकर डॉक्टर दंपति ने छह बार में RTGS के ज़रिए कुल 1.95 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। - फर्जी ऑनलाइन सुनवाई:
- वीडियो कॉल पर जज की पोशाक में एक व्यक्ति ने ऑनलाइन सुनवाई कर उन्हें “बरी” कर दिया।
- इसी के बाद डॉक्टर दंपति को शक हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं।
पुलिस कार्रवाई
- डॉक्टर दंपति ने साइबर थाना, पटना से संपर्क किया और लिखित शिकायत दर्ज कराई।
- अब साइबर अपराध शाखा इस मामले की जांच कर रही है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
- “डिजिटल अरेस्ट” जैसे शब्द अब हकीकत बन चुके हैं, जहां लोगों को डराकर मानसिक कैद में रखा जाता है।
- यह साइबर ठगी के नए और खतरनाक ट्रेंड को दर्शाता है — जिसमें तकनीक, भावनात्मक शोषण, और फर्जी सरकारी पहचान का उपयोग होता है।
- बुजुर्गों को टारगेट करना और बैंक में भी डर का माहौल बनाना, अपराधियों की योजनाबद्ध रणनीति दिखाता है।
सावधान रहें – आपके लिए कुछ सुझाव:
- किसी भी अज्ञात कॉल या वीडियो कॉल पर सरकारी अधिकारी होने का दावा करने वालों पर तुरंत विश्वास न करें।
- CBI, पुलिस या अदालतें कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर पैसे नहीं मांगतीं।
- अगर धमकी दी जाए, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
- बुजुर्गों और परिजनों को नियमित रूप से साइबर जागरूकता की जानकारी दें।