संसद द्वारा पारित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज अप्रूव कर दिया है. यह बिल अब कानून बन गया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कू ऐप पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया, “डीपीडीपी कानून बन गया है. राष्ट्रपति ने सहमति दे दी है.” डीपीडीपी विधेयक को 9 अगस्त को राज्यसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था. लोकसभा में ध्वनि-मत से 7 अगस्त को पारित हुआ. आज 12 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे अंतिम मंजूरी दी.
इस कानून का डिजिटल पर्सनल डेटा को मैनेज करना, सुरक्षित रखना और किसी शख्स के अधिकार को संतुलित करना मकसद है. यह कानून भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोसेसिंग पर लागू होता है, जिसमें ऑनलाइन और डिजिटाइज्ड ऑफ़लाइन डेटा शामिल है. यह कानून भारत के बाहर रह रहे लोगों पर भी लागू होगा. इस कानून से भारतीय नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा होगी.
Government of India issues gazette notification for the Digital Personal Data Protection Act after it receives the assent of the President pic.twitter.com/tMt2LbhAfe
— ANI (@ANI) August 12, 2023
कंपनियों पर लगाया जा सकता है 250 करोड़ का जुर्माना
कानून में किसी शख्स के डिजिटल डेटा का इस्तेमाल करना और उसकी सुरक्षा करने में विफल रहने वाली संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. टेक कंपनियों को अब लोगों का डेटा सुरक्षित करने के लिए कड़े उपाय करने होंगे. अगर आपका डेटा लीक होता है या आपके डिजिटल डेटा का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो आप इसकी जानकारी डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को देंगे और कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.
कंपनियों को नियुक्त करना होगा डेटा सुरक्षा अधिकारी
अगर यूजर डेटा का इस्तेमाल करने वाली सोशल मीडिया कंपनी किसी व्यक्ति का डेटा सुरक्षित कर पाने में नाकाम होती है तो उसपर कार्रवाई होगी. कंपनियों को व्यक्तिगत डेटा की रक्षा करनी होगी. डेटा की चोरी न हो इसके लिए कंपनियों को खास ध्यान देना होगा. लीक होने की स्थिति में कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और संबंधित यूजर्स को इसकी जानकारी देनी होगी. इस कानून के बाद अब कंपनियों को एक डेटा सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करना होगा और यूजर्स को इसकी जानकारी भी देनी होगी.