प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कजान शहर में है. यहां वे ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. यह सम्मेलन उस समय हो रहा है, जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई मोर्चों पर युद्ध चल रहे हैं. इसी बीच भारत और रूस के बीच एक और महत्वपूर्ण समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिसंबर में रूस की यात्रा करेंगे, जिसमें वे रूस के साथ 2.5 अरब डॉलर का रक्षा सौदा करेंगे. इस सौदे के अंतर्गत कलिनिनग्राद में निर्मित दो स्टील्थ फ्रिगेट में से पहले, आईएनएस तुशिल, को भारतीय नौसेना में शामिल करने से जोड़ा जा रहा है.
हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एस-400 मिसाइल सिस्टम और स्टील्थ फ्रिगेट समेत रूस से ऑर्डर की गई कई रक्षा प्रणालियों की डिलीवरी में पहले ही देरी हो चुकी है. रूस के कलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे पहले युद्धपोत का नाम आईएनएस तुशिल और दूसरे का नाम आईएनएस तमाल है. दोनों युद्धपोतों की डिलीवरी 2022 के अंत तक होनी थी, लेकिन इसमें देरी हुई. अब दूसरे युद्धपोत, आईएनएस तमाल की आपूर्ति अगले साल की शुरुआत में की जानी है.
होंगे कई अहम समझौते
अब तक तलवार श्रेणी के सात युद्धपोत बनाए जा चुके हैं, जिनमें से छह सक्रिय हैं. चार नए युद्धपोत बनाए जा रहे हैं, जिनमें से दो रूस में और दो भारत में निर्मित होंगे. इन युद्धपोतों का समुद्र में डिस्प्लेसमेंट 3,850 टन है. भारत ने चार तलवार श्रेणी के युद्धपोतों के लिए रूस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया था, जिस पर 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते के अनुसार, दो युद्धपोत पूरी तरह से रूस में बनाए जाएंगे और दो युद्धपोत रूस के तकनीकी सहयोग से भारत के गोवा शिपयार्ड में निर्मित होंगे. यंतर शिपयार्ड ने तलवार श्रेणी के छह सक्रिय युद्धपोतों में से तीन का निर्माण किया है.
रूस में निर्मित युद्धपोतों की क्या है खासियत
यह स्टील्थ युद्धपोत हैं, यानी इन्हें रडार से ट्रैक करना कठिन होता है. इनमें पानी के नीचे का शोर बहुत कम होता है, जिससे पनडुब्बियां इन्हें आसानी से पता नहीं लगा सकतीं. ये जहाज गैस टरबाइन इंजन से चलते हैं और समुद्र में 59 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकते हैं. इन युद्धपोतों में 18 अधिकारी और 180 सैनिक 30 दिनों तक समुद्र में तैनात रह सकते हैं. इनमें जमीन से जमीन और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगी होती हैं. पनडुब्बियों को नष्ट करने के लिए इनमें टॉरपीडो ट्यूब भी लगी हैं. ये युद्धपोत नौसैनिक युद्ध के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें भारतीय और रूसी हथियारों और सेंसर का एक शक्तिशाली संयोजन है.