लोकसभा चुनाव की तारीखें सामने आ चुकी हैं और देश में इस वक्त चुनावी माहौल बना हुआ है. इस चुनावी माहौल के बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों से संबंधित मामले को सुना, जिसमें वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की गई थी. कोर्ट ने मामले में चुनाव आयोग और केंद्र से जवाब मांगा है. गौरतलब है कि वर्तमान परिस्थितियों में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से किसी भी पांच चयनित ईवीएम का सत्यापन किया जाता है. दरअसल, वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने वीवीपैट पेपर पर्चियों के माध्यम से केवल 5 रैंडम रूप से चयनित ईवीएम के सत्यापन के मौजूदा चलन के विपरीत चुनावों में वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानी एक के बाद एक, और कहा गया कि इससे अनुचित देरी होती है.
याचिका में कहा गया है कि ‘चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है. मतदाता को आर्टिकल 19 और 21 के तहत सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग (2013) में इस माननीय न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट और वीवीपीएटी के पेपर वोट द्वारा गिने गए वोट को सत्यापित करने का अधिकार है.
याचिका में चुनाव आयोग को सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के जरिए मतदाता द्वारा ‘डाले गए वोटों के रूप में दर्ज’ किए गए वोटों के साथ अनिवार्य रूप से क्रॉस-चेक करने के लिए ईसीआई को निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि मतदाता को वीवीपैट से निकली वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति दी जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है.
आयोग और केंद्र सरकार को जारी किया गया नोटिस
इस पर्ची को एक सीलबंद डिब्बे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है। जस्टिस बीआर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव में सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती का अनुरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल के वकीलों की दलीलों पर गौर करने के बाद याचिका पर आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है।