रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बढ़ते विनियामक उल्लंघनों पर चिंता व्यक्त की है और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) को चेतावनी दी है कि वे विनियामक द्वारा मुद्दों को बताए बिना अनुपालन सुनिश्चित करें।
17 मई को एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से विनियमन प्लस दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करूंगा, जहां आप न केवल विनियमन के अक्षरशः अनुपालन करें, बल्कि इसकी भावना का भी अनुपालन करें। बता दें कि इस सम्मेलन में देश में एआरसी के टॉप मैनेजमेंट ने भाग लिया था।
स्वामीनाथन ने कहा कि अक्सर हमें अपनी टिप्पणियों को लेकर प्रतिवेदन मिलते रहते हैं। इनमें कहा जाता है कि यह उद्योग की गतिविधियां हैं या आरबीआई से इस बारे में स्पष्टीकरण आना बाकी है। कभी-कभी परिपत्रों की गलत या अपनी समझ के साथ व्याख्याएं की जाती हैं।
उन्होंने कहा कि सही काम करने में विफल रहने के लिए यह बहाना है जिसे स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। एआरसी निदेशक मंडलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नियमों का सही तरीके से पालन करें और नियामक को उन्हें इस बारे में बताने की जरूरत नहीं पड़े।
कब होगा एआरसी की क्षमता का बेहतर उपयोग
स्वामीनाथन ने कहा कि व्यवस्था के भीतर दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के लिए एआरसी की क्षमता का केवल तभी बेहतर उपयोग हो सकता है, जब संचालन व्यवस्था मजबूत हो और गतिविधियों के स्तर पर नीतियों का पालन हो।
उन्होंने कहा कि कुछ एआरसी, कानून और नियमों के तहत उन्हें दिए गए अधिकार का पूरा लाभ उठाते हुए नियमों को अनदेखी कर लेनदेन को व्यवस्थित करने के लिए नये तरीकों का उपयोग करते पाये गये हैं।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि कार्यस्थल पर जांच के दौरान हमने ऐसे उदाहरण देखे हैं जहां एआरसी का इस्तेमाल किया गया है या उन्होंने खुद को इस्तेमाल करने की अनुमति दी।
जोखिम प्रबंधन जैसे कार्यों को देना होगा महत्व
उन्होंने कहा कि कई मामलों में ‘सिक्योरिटी रिसीट’ (एसआर) जारी करने और निश्चित अवधि पर होने वाले मूल्यांकन में पारदर्शिता की कमी है।
स्वामीनाथन ने कहा कि निदेशक मंडलों को जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और आंतरिक ऑडिट जैसे कार्यों को उचित महत्व देना चाहिए। ये कार्य जोखिमों की पहचान करने और उन्हें कम करने, नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ-साथ संगठन की प्रतिष्ठा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।