लोकसभा चुनाव से पहले कच्चातिवु को लेकर देशभर में राजनीति गरमाई हुई है। एक तरफ भाजपा इस मामले को लेकर विपक्ष पर हमला बोल रही है, तो दूसरी तरफ विपक्षी दल भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। अब केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मामले में द्रमुक पर गैर जिम्मेदाराना बयान देने और गलत प्रचार का आरोप लगाया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिवंगत एम करुणानिधि उस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में बैठी कांग्रेस के कदम से भली भांति अवगत थे। इसके बाद भी उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को ‘चट्टान का एक छोटा सा समूह’ कहा था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने को लेकर कांग्रेस और द्रमुक पर हमला बोला था। अब निर्मला सीतारमण का कहना है कि कांग्रेस और द्रमुक द्वारा उस सच को उजागर कर देना चाहिए, जिसे वे आधी सदी से छुपाते चले आए हैं। उधर द्रमुक का कहना है कि इस द्वीप को उनकी जानकारी के बिना ही श्रीलंका को सौंपा गया और भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले इसे जबरन बड़ा मुद्दा बना रही है।
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि द्रमुक द्वारा झूठा अभियान फैलाया जा रहा है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। सीतारमण ने दावा किया कि भाजपा के पास उन्हें गलत साबित करने के लिए दस्तावेज के रूप में साक्ष्य मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा देश की सुरक्षा, संप्रभुता के साथ साथ भारतीय मछुआरों के जीवन से भी जुड़ा है। इसलिए इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। कच्चाथीवु के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दो मुकदमे लंबित हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री एल मुरुगन ने ने कहा कि द्रमुक के समर्थन से कांग्रेस सरकार ने कच्चातीवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। मुरुगन ने कहा कि इससे तमिलनाडु के मछुआरों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कच्चातिवु मामले में श्रीलंका की प्रतिक्रिया आई है। कैबिनेट प्रवक्ता और सूचना मंत्री बंडुला गुणवर्धन ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि कैबिनेट ने इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की क्योंकि इसे कभी उठाया ही नहीं गया।
बयानबाजी को लेकर क्या बोले पी चिदंबरम?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार को चेताया है कि कच्चातिवु पर भ्रामक और आक्रामक बयानबाजी श्रीलंका सरकार और तमिलों में संघर्ष का कारण बन सकती है। इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट में चिदंबरम ने यह बात कही।
चिदंबरम ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री और अन्य नेताओं के बयान भारत और श्रीलंका के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि श्रीलंका में 25 लाख श्रीलंकाई तमिल और 10 लाख भारतीय तमिल नागरिक रहते हैं। ऐसे में 50 वर्षों के बाद कच्चातिवु द्वीप को लेकर कोई भी भ्रामक और आक्रामक बयानबाजी श्रीलंकाई सरकार और 35 लाख तमिलों के बीच संघर्ष का कारण बन सकती है।