आपने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका के रवैये और भारत-पाक संबंधों में उसके संतुलनवादी दृष्टिकोण पर जो सवाल उठाया है, वो बिल्कुल प्रासंगिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का साहसी कदम
- 7 मई 2025 को भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर एक सटीक और आक्रामक हमला किया।
- इसमें 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई, जिनमें मसूद अजहर का भाई जैसे हाई-प्रोफाइल टारगेट शामिल थे।
- दुनिया भर में इस ऑपरेशन को आतंक के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्यवाही माना गया, लेकिन अमेरिका का संतुलित बयान कई लोगों को चौंकाने वाला लगा।
अमेरिका का नरम रवैया: क्यों?
1. इतिहास में झांकिए – पुरानी दोस्ती
- अमेरिका और पाकिस्तान की दोस्ती शीत युद्ध (Cold War) काल से चली आ रही है।
- 1971 में जब भारत ने बांग्लादेश के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाई थी, तो अमेरिका ने 7वां बेड़ा भेजकर पाकिस्तान का साथ देने की कोशिश की थी।
- ओसामा बिन लादेन की 2011 में एबटाबाद (पाकिस्तान) में हत्या के बाद भी अमेरिका ने पाकिस्तान पर गंभीर प्रतिबंध नहीं लगाए।
2. भूराजनीतिक समीकरण
- अमेरिका आज भी पाकिस्तान को एक “जियो-स्ट्रैटेजिक पिवट” मानता है:
- अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद तालिबान से बातचीत के लिए पाकिस्तान जरूरी था।
- चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है CPEC, जो पाकिस्तान के रास्ते जाता है।
- पाकिस्तान के परमाणु हथियार, कट्टरपंथी समूहों पर नियंत्रण, और चीन से उसकी नजदीकी अमेरिका को उसे पूरी तरह अलग करने नहीं देती।
3. दक्षिण एशिया में ‘बैलेंसिंग पावर’ की रणनीति
- अमेरिका नहीं चाहता कि भारत पूरी तरह रूस या चीन के खिलाफ एक फ्रंटलाइन सहयोगी बन जाए।
- वह दक्षिण एशिया में संतुलन बनाकर रखना चाहता है ताकि कोई एक देश अत्यधिक प्रभावी न हो।
- यदि अमेरिका खुलकर भारत का पक्ष लेता है, तो पाकिस्तान को मजबूरी में चीन की पूरी छत्रछाया में जाना पड़ेगा – यह अमेरिका के लिए एक जियोपॉलिटिकल लॉस होगा।
क्या ट्रंप भारत से दूरी बना रहे हैं?
हकीकत यह है कि:
- डोनाल्ड ट्रंप, अगर फिर से राष्ट्रपति बने हैं (या रिपब्लिकन पार्टी सत्ता में है), तो “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत वे हर रिश्ते को डील बेस्ड और लाभ आधारित तरीके से देखते हैं।
- उनके कार्यकाल में भारत को सैन्य, टेक्नोलॉजी, और व्यापार के क्षेत्र में कई बार मजबूती मिली, लेकिन जब पाकिस्तान की भूमिका अहम लगी, तो उन्होंने उसे भी छूट दी।
- भारत की स्ट्राइक के बाद ट्रंप की चुप्पी एक रणनीतिक चुप्पी हो सकती है — ताकि दोनों देशों से लाभ ले सकें।
भारत को क्या करना चाहिए?
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनमत निर्माण — भारत को मित्र देशों (जैसे फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया) को अपने पक्ष में सक्रिय करना होगा।
- QUAD जैसे मंचों को मजबूत करना — ताकि अमेरिका भी भारत के रणनीतिक महत्व को समझे और मजबूती से समर्थन दे।
- आत्मनिर्भर सुरक्षा और डिप्लोमेसी — अमेरिका की हिचकिचाहट से सीख लेकर भारत को अपनी स्वतंत्र रणनीतिक सोच बनाए रखनी होगी।
निष्कर्ष
अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया भू-राजनीतिक मजबूरियों, इतिहास, और चीन की बढ़ती ताकत से जुड़ा है। इसका मतलब यह नहीं कि भारत-अमेरिका रिश्ते कमजोर हो रहे हैं, बल्कि यह एक बैलेंसिंग एक्ट है, जिसमें अमेरिका हर मोर्चे पर अपने हित साधना चाहता है।