डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने वाली केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही इसे कानूनी अमली जामा पहनाने में जुट गई है. देश में जब इंटरनेट की शुरुआत हुई तो सरकार सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 लेकर आई. अब जब देश तेजी से डिजिटल व्यवस्था की ओर से बढ़ रहा है तो सरकार डिजिटल इंडिया एक्ट (DIA) 2023 लाने की तैयारी कर रही है. एक्ट के स्वरूप को तैयार कर लिया गया है. सरकार इस एक्ट में पूरी डिजिटल व्यवस्था को समेटी और अभी तक सामने आई तमाम खामियों को दूर करने का प्रयास करेगी.
सोशल मीडिया के इस दौर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की अहमियत भी बढ़ गई है. सूत्रों की मानें तो डिजिटल इंडिया एक्ट के अनुसार ही इंटरनेट से जुड़ी पूरी अर्थव्यवस्था संचालित होगी. जून के पहले हफ्ते में इसका मसौदा सामने आने के बाद मानसून सत्र में इसे संसद की पटल पर रखा जाएगा. जहां, बहस और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे.
डिजिटल इंडिया का मुख्य मकसद इंटरनेट यूजर्स के अधिकारों को सुरक्षित करना और आने वाली जोखिमों को कम से कम तक सीमित करना होगा. इस एक्ट में इंटरनेट यूजर्स की निजता का उल्लंघन करने वाल डिवाइसेज को लेकर सख्त प्रावधान शामिल किए जाएंगे. इस बिल का मुख्य मकसद स्वतंत्र और सुरक्षित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है. बाजार में इंटरनेट से जुड़ी नई टेक्नोलॉजी के लिए इसमें कड़े प्रावधान बनाए जाएंगे ताकि हर हाल में यूजर्स की निजता को सुरक्षित किया जा सके.
वर्तमान में जब सोशल मीडिया पर नफरत भरे भाषण और बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाली सामग्रियों की बाढ़ आई है ऐसे में इस एक्ट के जरिए जवाबदेही तय की जाएगी. इसके साथ-साथ कंटेंट मॉनेटाइजेशन को लेकर भी प्रावधान बनाए जाएंगे. स्पाई कैमरों या फिर शरीर पर पहने जाने वाले गैजेट्स के इस्तेमाल को लेकर नियम बनाए जाएंगे.
क्या है बिल का मकसद?
- डिजियल इंडिया बिल का मकसद सुरक्षित इंटरनेट मुहैया कराना होगा.
- इंटरनेट यूजर्स के अधिकार का पूरा ख्याल रखना होगा.
- साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रावधान तय किए जाएंगे.
- डेटा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक पॉलिसी बनाई जाएगी.
- लोगों को ओपने इंटरनेट चुनने की आजादी के लिए प्रावधान किए जाएंगे.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के साथ ही इसके इस्तेमाल को लेकर भी कदम उठाए जा सकते हैं. डिजिटल इंडिया एक्ट में डिजिटल निजी डेटा संरक्षण को लेकर कानून बनाया जाएगा. सर्चिंग, अत्यधिक जोखिम वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, निजता में दखल देने वाले उपकरण, इटरनेट यूजर्स खासकर महिलाओं और बच्चों को होने वाली खतरों से बचाने का प्रावधान किया जा सकता है. इसके अलावा ट्रैकिंग को लेकर भी सरकार सख्त हो सकती है. जिसके जरिए लक्षित विज्ञापनों पर लगाम लगाई जा सके.