इसरो के आदित्य L-1 और चंद्रयान-2 ने आसमान की खौफनाक तस्वीरें ली हैं, इन तस्वीरों ने जो खुलासा हुआ है वह बेहद डराने वाला है. इसरो के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि हाल ही में सूरज में बड़ा विस्फोट हुआ है. इनसे एम क्लास और X क्लास लहरें निकलीं जिन्होंने एक बड़े सौर तूफान का रूप लेकर धरती को प्रभावित किया. यह तूफान 2003 में आए भू चुंबकीय तूफान के बाद सबसे ज्यादा शक्तिशाली था. इसरो के मुताबिक इस तूफान की वजह से धरती का संचार और जीपीएस सिस्टम प्रभावित हुआ था.
तकरीबन 21 साल बाद आए इतने शक्तिशाली तूफान से वैज्ञानिक खुद हैरान और परेशान हैं. सिर्फ इसरो ही नहीं बल्कि NOAA स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने भी इसकी पुष्टि की है. इसमें बताया गया है कि सूरज पर अभी और विस्फोट होने की संभावना है. यदि लगातार ऐसा होता रहता है तो यह धरती की संचार प्रणाली और जीपीएस सिस्टम के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
11 मई को आया था सौर तूफान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुताबिक यह शक्तिशाली सौर तूफान 11 मई को आया था जो जियोमैग्नेटिक इंडेक्स के 9 तक पहुंच गया था जो सौर तूफान का उच्च स्तर है. इसरो के मुताबिक इससे पहले ही कई सौर तूफान धरती से टकराए हैं, लेकिन यह तूफान ज्यादा खतरनाक था. हालांकि इससे भारतीय क्षेत्र पर कम प्रभाव इसलिए पड़ा क्योंकि जब ये सौर तूफान धरती से टकराया उस वक्त पूरी तरह दिन नहीं निकला था. यदि उस समय दिन होता तो लोगों को बड़ी बिजली कटौती भी झेलनी पड़ सकती थी. इस सौर तूफान ने सबसे ज्यादा असर प्रशांत और अमेरिकी क्षेत्रों में डाला.
क्या होते हैं सौर तूफान ?
सौर तूफान का अर्थ सूरज की सतह पर होने वाले विस्फोटों से लगाया जाता है जो कई लाख किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से वायुमंडल में फैलते हैं. यह सौर तूफान अंतरिक्ष के कणों को अवशोषित करते हुए आगे बढ़ते हैं और जब ये धरती से टकराते हैं तो सैटेलाइट नेटवर्क, टीवी, रेडियो संचार और जीपीएस सिस्टम को प्रभावित करते हैं. इन्हें दो क्लास में बांटा जाता है, एक M क्लास और एक X क्लास, इन्हें सौर लहर भी बोलते हैं.
ISRO Captures the Signatures of the Recent Solar Eruptive Events from Earth, Sun-Earth L1 Point, and the Moonhttps://t.co/bZBCW9flT1 pic.twitter.com/SaqGu5LjOV
— ISRO (@isro) May 14, 2024
आदित्य L-1 और चंद्रयान-2 ने कैद किया नजारा
अंतरिक्ष में हुई इस हलचल को आदित्य L1 के पेलोड ASPEX ने रिकॉर्ड किया है. इसमें सौर तूफान की उच्च गति, तापमान और पवन प्लाज्मा का तेज प्रवाह साफ नजर आ रहा है. इस पेलोड में स्पेक्ट्रोमीटर है जो सौर हवा के निशान कैप्चर करता है. इसके अलावा आदित्य L1 के एक्सरे पेलोड Solexs ने भी कई एक्स और एम क्लास फ्लेयर्स को देखा है जो कि L1 बिंदु से गुजरे थे. आदित्य L1 के अलावा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भी इन सौर विस्फोट की घटनाओं को कैद किया है, जो लगातार ऑर्बिट में घूम रहा है. इसमें सौर तूफानों की कई दिलचस्प घटनाएं कैद हुई हैं.