लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए शनिवार (25 मई) को देश की 57 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इस बीच चुनाव आयोग ने पिछले पांच फेज में हुए चुनाव का फाइनल डेटा जारी किया है. इसमें यह बताया गया है कि इन पांचों फेज में किस लोकसभा क्षेत्र में कितने फीसदी लोगों ने वोट डाल है. इस दौरान चुनाव आयोग की ओर से यह भी कहा गया कि वोट फीसदी को लेकर कुछ गलत नेरेटिव भी फैलाए गए हैं.
गलत नेरेटिव फैलाने वालों को लगाई फटकार
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को खराब करने के उद्देश्य से इस तरह के गलत नेरेटिव फैलाए जाते हैं. ईसीआई के मताबिक मतदान का डेटा हर चरण के चुनाव के दिन सुबह 9:30 बजे से उनके ऐप के माध्यम से उपलब्ध होता है. चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी कर वोट पोलिंग फीसद में किसी भी तरह से बदलाव होने से इनकार किया.
चुनाव आयोग की ओर से जारी वोटिंग फीसदी
- फेज 1 : 66.14 फीसदी
- फेज 2: 66.71 फीसदी
- फेज 3 : 65.68 फीसदी
- फेज 4 : 69.16 फीसदी
- फेज 5 : 62.20 फीसदी
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया में हाथ डालने से किया मना
चुनाव आयोग ने मतदान फीसदी का डेटा जारी होने के एक दिन पहले (24 मई 2024) को एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर कर मांग की थी कि लोकसभा चुनावों के दौरान मतदान केंद्र के आंकड़ों को चुनाव आयोग अपने वेबसाइट पर अपलोड करे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को किसी भी तरह का निर्देश देने से मना कर दिया और कहा कि चुनावी प्रक्रिया में कोर्ट हाथ नहीं डलेगा.
चुनाव आयोग ने एनजीओ की मांग का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि इससे चुनावी माहौल खराब होगा और आम चुनावों के बीच चुनावी मशीनरी में अराजकता पैदा होगी.
चुनाव आयोग ने फॉर्म 17सी का किया जिक्र
इलेक्शन कमीशन ने बताया कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के एजेंटों के पास फॉर्म 17सी है, जिसमें 543 संसदीय क्षेत्रों के लगभग 10.5 लाख मतदान केंद्रों में से प्रत्येक पर डाले गए कुल वोटों की संख्या दर्ज है. चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17सी में दर्ज कुल वोटों की संख्या में बदलाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध है.
ईसीआई ने कहा, “कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल 1961 के नियम 49 वी (2) के अनुसार उम्मीदवारों के एजेंटों को हमेशा मतदान केंद्र से लेकर स्ट्रांग रूम तक ईवीएम और फॉर्म 17सी सहित जरूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ जाने की अनुमति है.”
पूरी प्रक्रिया सटीक, किसी तरह की विसंगति नहीं
आयोग ने कहा कि डाले गए वोटों के संग्रहण और भंडारण की प्रक्रिया कठिन और पारदर्शी है। राज्यों में आयोग और उसके अधिकारी वैधानिक विचारों को ध्यान में रखते हुए, बेहतर तरीके से मतदान डेटा का प्रसार कर रहे हैं। 19 अप्रैल 2024 को मतदान शुरू होने की तारीख से मतदान के आंकड़ों को जारी करने की पूरी प्रक्रिया सटीक, सुसंगत और चुनाव कानूनों के अनुसार रही है। इसमें किसी भी तरह की विसंगति नहीं रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की उस याचिका पर निर्वाचन आयोग को निर्देश देने से मना कर दिया, जिसमें आयोग को मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को एनजीओ की याचिका पर निर्वाचन आयोग से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा था, जिसमें लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण का मतदान संपन्न होने के 48 घंटे के अंदर मतदान केंद्र-वार मत प्रतिशत के आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। वहीं निर्वाचन आयोग ने हलफनामा दाखिल कर एनजीओ के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि इससे चुनावी माहौल खराब होगा और आम चुनावों के बीच चुनावी तंत्र में अराजकता पैदा होगी।