संयुक्त अरब अमीरात (UAE) है तो एक मुस्लिम देश, लेकिन अगले एक हफ्ते में यहां हिंदुत्व का वो मोती सारी दुनिया में चमक बिखेरने को तैयार है, जिसका इंतजार दशकों से हो रहा था. UAE की राजधानी अबूधाबी में मंदिर के घंटों के आवाज गूंजेगी, शंखनाद होगा. देव प्रतिमा के आगे दीप जलेंगे. आरती की सुरलहरियों से भक्ति का सोता बहेगा. होम की समिधा से वातावरण सकारात्मक होगा और प्रसाद की मिठास मन को आनंदित कर देगी.
अबूधाबी में होने वाला है हिंदू मंदिर का उद्घाटन
ये सब इसलिए संभव होने वाला है, क्योंकि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब पीएम मोदी अबूधाबी में स्वामी नारायण हिंदू मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और उद्धाटन करने जा रहे हैं. इस मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही है. 700 करोड़ रुपये की लागत से बना ये मंदिर भारतीय प्राचीन मंदिर निर्माण शैली का अद्भुत उदाहरण है और रेत के शहर में प्राच्य संस्कृति-संस्कार और श्रद्धा के संगम के रूप मे देखा जाएगा. ये मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र बनेगा बल्कि सौहार्द और सामंजस्य के प्रतीक के रूप में भी जाना जाएगा.
18 फरवरी 2024 से दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
आम लोगों के लिए 18 फरवरी 2024 को खोले जाने वाले इस मंदिर की खासियत भी अद्भुत हैं. इसे 27 एकड़ की जमीन पर बनाया गया है, जिसमें साढ़े 13 एकड़ में मंदिर का हिस्सा बना है और बाकी साढ़े 13 एकड़ में पार्किंग एरिया बनाया गया है. मंदिर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बने इस हिंदू मंदिर का नाम बीएपीएस हिंदू मंदिर है, जिसे बीएपीएस संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है. बीएपीएस एक ऐसी संस्था है, जिसने दुनियाभर में 1,100 से ज्यादा हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है.
भारतवंशी समुदाय में काफी उत्साह
दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण भी इसी संस्था ने किया है. मंदिर निर्माण के लिए संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने जमीन दान में दी थी. मंदिर के ऑपरेशन से जुड़े रविंदर कदम ने बताया कि, इस मंदिर को लेकर अरब के भारतवंशी समुदाय में काफी उत्साह है. खुद रविंदर कदम भी ईश्वरीय प्रेरणा से अपनी सर्विस छोड़कर निर्माण से जुड़े हुए हैं.
अगस्त 2015 में UAE दौरे पर गए थे पीएम मोदी
रविंदर कदम ने बताया कि मंदिर का उद्गघाटन पीएम मोदी 14 फरवरी को करेंगे. अगस्त 2015 में पीएम मोदी जब UAE के दौरे पर आए थे, तब यहां मंदिर निर्माण की अनुमति दी गई थी. 34 वर्षों में किसी भारतीय पीएम का पहला दौरा था, जिसने दो राष्ट्रों के बीच मित्रता और साझा संस्कृति की एक अहम नींव रखी थी.
जिन पत्थरों से बना राम मंदिर, उन्हीं से हुआ अबूधाबी मंदिर का निर्माण
मंदिर की विशेषताओं की बात करें तो इसका एक लिंक अभी-अभी अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठित हुए राम मंदिर से भी है. इस मंदिर का निर्माण जयपुर के पिंक सैंड स्टोन (लाल बलुआ पत्थर) से हुआ है. यह वही पत्थर है, जिससे अयोध्या में मंदिर बनाया गया है. वहीं, इस मंदिर के निर्माण में भी अयोध्या की ही तरह न तो लोहे का प्रयोग हुआ है और न ही स्टील का. बल्कि, इंटरलॉकिंग पद्धति से शिलाओं की फिटिंग की गई है. यह पद्धति किसी भी निर्माण कार्य को हजारों सालों की मजबूती प्रदान करती है. इसके अलावा अबूधाबी में बनें इस मंदिर में इटैलियन मार्बल का भी प्रयोग किया गया है, जिसके कारण इसका इंटीरियर अलग ही निखर कर सामने आया है.
भारतवंशी कर रहे हैं मंदिर में श्रमदान
इसी तरह इस मंदिर में बतौर स्वयंसेवक जुड़ीं करुणा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि, मंदिर आपको रामकथा-कृष्ण कथा की याद दिलाएगा तो यहां आपको बनारस के गंगा घाट का अनुभव भी मिलेगा. शाम को आरती होगी. सामने के बाहरी लुक को काशी के गंगा घाट की तरह बनाया गया है, जहां बिल्कुल गंगा नदी जैसा अनुभव मिलेगा और लोग आएंगे तो शांति का अनुभव करेंगे. भारतवंशी इस मंदिर में अपनी खुशी से लगातार श्रमदान करने के लिए जुड़ रहे हैं. कोई सफाई करने के लिए आ रहा है, कोई झाड़ू-कटका के लिए. सभी ऐसा करते हुए खुद को धन्य समझ रहे हैं.
1997 में आया था मंदिर निर्माण का विचार
मंदिर से जुड़े एक और स्वयंसेवक अश्विनी ने बताया कि मंदिर का विचार पहली बार 1997 में प्रकट हुआ जब स्वामी जी महाराज 1997 में शारजाह आए थे. तब उन्होंने एक स्थान पर चिह्नित करते हुए कहा कि यहां मंदिर होगा. इस तरह उनका एक संकल्प आज साकार हो चला है. 2017 में जमीन मिली, जिस पर निर्माण कार्य किया गया है. बता दें कि, मंदिर के नीचे के तल में अभिषेक मंडपम बनाया गया है. यहां निजी समारोह व पूजा पद्धति हो सकते हैं. यहां स्वामी नारायण की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. वहीं, इसके पास सरस्वती नदी का स्वरूप बनाया गया है, जिसमें अभिषेक का पवित्र जल बहा करेगा.
मंदिर की विशेषताएं
- मंदिर अरबी और हिंदू का संस्कृति का प्रतीक
- मंदिर में 7 शिखरों का निर्माण
- 7 शिखर के हर शिखर में सात देवी-देवताओं की उपस्थिति
- राम परिवार, कृष्ण परिवार, अयप्पा भी होंगे स्थापित
- नक्काशी की गईं शिलाएं भरतपुर जिले से लाई गईं
- कल्प वृक्ष का निर्माण
- डोम ऑफ पीस का प्रतीक
- डोम ऑफ हॉर्मनी भी बनाई गई.
- मंदिर में कुल 96 स्तंभ बनाए गए हैं.
- मध्य खंड में स्वामी नारायण के विग्रह की होगी प्राण प्रतिष्ठा