पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की भीड़ द्वारा हत्या, और उसके बाद उनकी विधवाओं को दी जा रही धमकियाँ, पुलिसिया डराने-धमकाने की कोशिशें, तथा न्याय की पूरी व्यवस्था से विमुखता, भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर चेतावनी है।
मुर्शिदाबाद में हिन्दू परिवार पर हमला: मुख्य तथ्य
घटना | विवरण |
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📅 तारीख | 11 अप्रैल 2025 (हिंसा), 4 मई को पीड़ितों की राज्यपाल से अपील |
📍 स्थान | धुलियान और शमशेरगंज, मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल |
🧨 घटना का कारण | इस्लामी भीड़ का वक्फ अधिनियम के विरोध के नाम पर हिंसक प्रदर्शन |
😢 पीड़ित | हरगोबिंद दास और चंदन दास – दोनों मूर्ति शिल्पकार |
🧑🤝🧑 परिवार | विधवाएँ पिंकी दास और पारुल दास छुपे स्थानों पर रहने को मजबूर |
📩 सुरक्षा अपील | राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट को पत्र लिखा गया |
🚨 पुलिस का दावा | महिलाओं द्वारा लगाए आरोपों को खारिज किया, कहा “हमने केवल शिकायत पर घर जाँच की” |
घटना के गंभीर आयाम:
1. Targeted Communal Violence
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हिंदू समुदाय के दो सदस्यों को घर से घसीट कर मार देना केवल भीड़तंत्र नहीं, यह सुनियोजित सांप्रदायिक टारगेटिंग का संकेत है।
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वक्फ कानून के विरोध की आड़ में हिंदू दुकानों, घरों और परिवारों को निशाना बनाना इस्लामी कट्टरता की नीति का परिचायक है।
2. राज्य की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह
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पीड़ितों के अनुसार पुलिस हमलावरों की बजाय उन्हें ही डराने में लगी है, जो राज्यसत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है।
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पुलिस का “वे घर पर नहीं थीं” कहना उनके जैविक और संवैधानिक सुरक्षा अधिकार को दरकिनार करने का प्रयास है।
3. न्यायिक अपील और संवैधानिक उम्मीद
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पीड़ित महिलाओं ने राज्यपाल, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) की रक्षा की माँग की है।
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यह राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है कि वे कानून व्यवस्था के रखवाले के रूप में हस्तक्षेप करें।
संभावित कार्रवाई और माँगें:
✅ तत्कालिक माँगें:
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NIA या CBI से स्वतंत्र जाँच – ताकि राज्य सरकार का हस्तक्षेप न हो।
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राज्यपाल की प्रत्यक्ष निगरानी में सुरक्षा मुहैया।
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हिंसा प्रभावित क्षेत्र में धारा 144 और अर्धसैनिक बलों की तैनाती।
⚖️ दीर्घकालिक समाधान:
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राज्य में Waqf अधिनियम की पुनर्समीक्षा और उसमें पारदर्शिता लाने की आवश्यकता।
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हिंदू समुदायों की संवैधानिक और सांस्कृतिक सुरक्षा हेतु विशेष आयोग की स्थापना।
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भीड़ हिंसा रोकथाम के लिए विशेष कानून (Mob Lynching Act) की राज्य और केंद्र स्तर पर मांग।
क्या यह धार्मिक सफाई की योजना है?
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मूर्ति बनाने वाले पिता-पुत्र को निशाना बनाना, अंतिम संस्कार न कर पाने की हालत पैदा करना, और पूरे परिवार को भागने पर मजबूर करना – ये सभी Religious Cleansing (धार्मिक शुद्धिकरण) की ओर संकेत करते हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार निकायों को भी देखना चाहिए।