अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खुलासे के बाद भारत में चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की पूर्व सरकार (जो बाइडेन प्रशासन) ने USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) के जरिए भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 174 करोड़ रुपये) की फंडिंग की।
भारत का आधिकारिक रिएक्शन
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मुद्दे पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है।
- विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने इन खबरों को देखा और सुना है कि अमेरिका की पूर्व सरकार ने भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए धन मुहैया कराया।
- यह खुलासा गंभीर चिंता का विषय है और यह भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप का मामला है।
- जायसवाल ने कहा कि भारतीय एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।
- हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल पब्लिक फोरम पर ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा।
डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा आरोप
- ट्रंप ने सवाल उठाया, “हम भारत को यह पैसा क्यों दे रहे हैं?”
- उन्होंने आशंका जताई कि बाइडेन प्रशासन यह पैसा भारत में किसी को चुनाव जिताने के लिए दे रहा था।
- ट्रंप ने कहा कि USAID ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह धन दिया, लेकिन उन्होंने पूछा कि यह जरूरी क्यों था?
- उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी सरकार को इस बारे में भारत सरकार को पूरी जानकारी देनी चाहिए।
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— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) February 21, 2025
क्या है USAID और इसका भारत में काम?
- USAID एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है जो दुनिया भर में विकास कार्यों और लोकतंत्र को मजबूत करने के नाम पर फंडिंग देती है।
- अतीत में USAID ने मीडिया, एनजीओ, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता और मानवाधिकारों के नाम पर भी फंडिंग की है।
- कई बार इसके जरिए चुनावी प्रक्रियाओं में दखल देने के आरोप भी लग चुके हैं।
भारत में चुनावों पर अमेरिकी फंडिंग – बड़ा विवाद क्यों?
- संप्रभुता का उल्लंघन – भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के चुनावों में किसी विदेशी सरकार का दखल गंभीर मुद्दा है।
- चुनावी निष्पक्षता पर सवाल – अगर यह फंडिंग किसी खास पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए थी, तो यह चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।
- भारत-अमेरिका संबंधों पर असर – यह मामला अगर और बड़ा हुआ तो भारत-अमेरिका के कूटनीतिक रिश्तों पर असर डाल सकता है।
भारतीय एजेंसियों की जांच – आगे क्या होगा?
- इस मामले की भारतीय खुफिया एजेंसियां और चुनाव आयोग जांच कर सकते हैं।
- अगर विदेशी धन किसी खास राजनीतिक दल या संस्था को दिया गया है, तो FCRA (विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम) के तहत जांच हो सकती है।
- भारत सरकार अमेरिकी प्रशासन से आधिकारिक जवाब भी मांग सकती है।