राज्यसभा की 56 सीटों अप्रैल के पहले हफ्ते में खाली होने जा रही हैं। इन्हें लेकर सोमवार केंद्रीय चुनाव आयोग ने चुनावों को ऐलान किया। इन सीटों के लिए आगामी 27 फरवरी को चुनाव होगा। इन खाली सीटों पर राजनीति के बड़े बड़े चेहरों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इनमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, एसपी की जया बच्चन, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, उद्योग मंत्री नारायण राणे, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी, अखिलेश प्रताप सिंह, नासिर हुसैन जैसे लोग शामिल हैं।
कौन-कौन नेता हो रहे रिटायर?
रिटायर हो रहे अन्य प्रमुख चेहरों में आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, बीजेपी के मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी, सीनियर बीजेपी लीडर मुरलीधर, सुशील कुमार मोदी, पार्टी प्रवक्ता जीबी नरसिम्हा राव, सुधांशु त्रिवेदी, शिवसेना के अनिल देसाई, एनसीपी की वंदना चव्हाण, कांग्रेस के कुमार केतकर, आरजेडी के मनोज कुमार झा व अशफाक करीम, जेडीयू के अनिल प्रसाद हेगड़े और वशिष्ठ नारायण सिंह शामिल हैं।
राज्यसभा में बदल सकती है सियासी तस्वीर
राज्यसभा के इन चुनावों के मद्देनजर माना जा रहा है कि उच्च सदन में सियासी तस्वीर कुछ बदल सकती है। जहां कुछ सीटों में बीजेपी को नुकसान होगा तो वहीं कुछ राज्यों में उसे फायदा हो सकता है। दरअसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हुई बीजेपी की जीत उसकी सीटों में इजाफा करने में मददगार साबित होगी। जहां एक ओर लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हो रहे इन चुनावों को लेकर तमाम सियासी दलों के सामने कई तरह के प्रश्न व समीकरण घूम रहे हैं। ज्यादातर पार्टियां इन सीटाें के लिए ऐसे उम्मीदवार देना चाहेंगी, जिसके जरिए वह आने वाले लोकसभा चुनाव में एक संकेत दे सकें। राजनीतिक दल मान रहे हैं कि राज्यसभा में उम्मीदवारों को चयन चुनाव के मद्देनजर कई तरह के संकेत देगा। इसीलिए विभिन्न पार्टियां जातिगत, सामाजिक समीकरणों को देखते हुए अपने उम्मीदवारों को चुनेंगी। वहीं कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी रिटायर हो रहे अपने कई सांसदों को लोकसभा लड़वा सकती है।
बीजेपी को कितना नफा-नुकसान?
उल्लेखनीय है कि सदन में फिलहाल सबसे ज्यादा सदस्य बीजेपी के हैं, जिनकी तादाद 93 है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस की संख्या 30 है। इस चुनाव में कांग्रेस की नौ सीटें खाली हो रही हैं, लेकिन उसे दस सीटें मिलने का अनुमान है। इसमें कुछ राज्यों में जहां उसे नुकसान हो रहा है तो वहीं कुछ राज्यों में सीटों का फायदा है। बिहार में वह अपनी एक सीट बचा रही है। गुजरात में दो सीटों का तो बंगाल में एक सीट का नुकसान होगा, वहीं हिमाचल प्रदेश व राजस्थान में एक-एक सीट तो तेलंगाना में दो सीटों का फायदा होने जा रहा है। जबकि कर्नाटक में पार्टी अपनी तीनों सीटें और मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र में अपनी एक-एक सीट बचा पाने में कामयाब दिख रही है।
बीजेपी की स्थिति में क्या होगा बदलाव
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में घट रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य से बढ़ने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें से बीजेपी के पास 9 सीटें हैं और सपा के पास एक सीट है. 2022 के चुनाव के बाद आंकड़े बदल गए हैं, जिसके आधार पर बीजेपी को राज्यसभा चुनाव में 7 सीटें मिल सकती हैं. इस तरह बीजेपी को 2 सीटों का नुकसान हो सकता है. हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को अपनी इकलौती राज्यसभा सीट गंवानी पड़ सकती है, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूदा समय में राज्यसभा सदस्य हैं, जिन्हें संसद में दोबारा से वापसी के लिए किसी और राज्य से अपनी उम्मीदवारी पेश करनी होगी.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़, गुजरात और पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटें बढ़ सकती हैं. बिहार में बीजेपी और जेडीयू के साथ आने से एनडीए को फायदा होगा. बिहार में खाली हो रही 6 राज्यसभा सीटों में जेडीयू, आरएजेडी के पास दो-दो और कांग्रेस और बीजेपी के पास एक-एक सीट है, जिसके चलते एनडीए को एक सीट का लाभ मिल सकता है. अजित पवार के गुट वाली एनसीपी के सत्ता में आने के कारण महाराष्ट्र में भी एनडीए को दो सीटों का फायदा मिलने की संभावना है. महाराष्ट्र में खाली हो रही छह सीटों में बीजेपी के पास तीन और एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना के पास एक-एक सीट है. ऐसे में एनडीए की सीटें बढ़ेंगी.
गुजरात की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के पास 2-2 सीटें हैं, लेकिन मौजूदा विधानसभा के आंकड़े के लिहाज से बीजेपी के चारों सीटों पर जीत दर्ज करने की उम्मीद दिख रही है. पश्चिम बंगाल से बीजेपी को एक राज्यसभा सीट मिल सकती है. मध्य प्रदेश की पांच राज्यसभा सीटों में से बीजेपी को तीन से चार सीटें मिलने की उम्मीद है. राजस्थान की तीन में से बीजेपी को दो सीटें मिल सकती है जबकि अभी एक सीट है. छत्तीसगढ़ की सीट भी बीजेपी के नाम हो सकती है.
कांग्रेस की सीटें बढ़ेगी या घट सकती हैं?
राज्यसभा की जिन 56 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें कांग्रेस के पास फिलहाल 9 सीटें हैं. कांग्रेस को गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और बंगाल में नुकसान हो सकता है. गुजरात में कांग्रेस को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस दो, राजस्थान में एक सीट का कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा. हिमाचल प्रदेश में एक और कांग्रेस को तेलंगाना में दो सीटों की बढ़त मिलेगी. बिहार और पश्चिम बंगाल में एक-एक सीट का नुकसान होगा. हिमाचल में खाली होने वाली राज्यसभा सीट के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को भेजने की तैयारी है. इस तरह से कांग्रेस कमोबेश अपनी सीटें बचाए रखने में सफल हो सकती है. इसके अलावा कर्नाटक की चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें से कांग्रेस तीन सीटें जीतने की कोशिश में है.
सपा का नफा, केसीआर को नुकसान
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिसमें 9 सीट बीजेपी और एक सपा के पास है. 2022 के विधानसभा चुनाव के चलते आंकड़े बदल गए हैं, जिसके चलते बीजेपी को 2 सीटों का नुकसान हो रहा है और सपा को सियासी लाभ मिल सकता है. सपा अपने दम पर दो सीटें जीत लेगी, लेकिन आरएलडी के समर्थन से तीन सीटें उसके नाम हो सकती हैं. तेलंगाना में तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिन पर केसीआर का कब्जा है, लेकिन अब सियासी हालात बदल गए हैं. कांग्रेस को दो सीटें मिल सकती हैं और केसीआर के हिस्से में एक सीट आएगी. आंध्र प्रदेश की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं और चारों सीटें वाईएसआर कांग्रेस के हिस्से में जा सकती हैं, जबकि तीन सीटों पर पीडीपी का कब्जा था.
क्या राजनीति के बड़े नामों की होगी वापसी?
यहां देखना भी अहम होगा, जिन सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, क्या उनके दल फिर से उन्हें मौका देंगे। इनमें अहम नाम पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, जया बच्चन व प्रकाश जावड़ेकर जैसे नामों का है। छह बार के राज्यसभा सांसद 92 वर्षीय मनमोहन सिंह का अपनी नरम सेहत के चलते अब फिर से राज्यसभा में लौटना मुश्किल लग रहा है। उनकी सेहत के चलते अब शायद ही कांग्रेस उन्हें मौका दे। वह फिलहाल राजस्थान से सांसद हैं। पिछली बार भी कांग्रेस ने 86 साल की उम्र में उन्हें सम्मान स्वरूप प्रतीकात्मक रूप से राज्यसभा भेजा था। वहीं जया बच्चन पर नजर रहेगी कि एसपी उन्हें फिर से मौका देती है या नहीं। इसके अलावा, जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी पिछली बार टीएमसी के समर्थन से वेस्ट बंगाल से जीते थे। देखना होगा कि पार्टी उन्हें कहां से भेजती है। हालांकि कपिल सिब्बल के पार्टी छोड़ने के बाद बड़े वकीलों में सिंघवी सबसे अहम हैं, जो पार्टी के मुश्किल वक्त में खड़े होते रहे हैं।