अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले (नवंबर 2019) के बाद से मंदिर-मस्जिद से जुड़े कई नए विवाद देशभर में उभर कर सामने आए हैं। हालांकि, उस समय यह उम्मीद थी कि अयोध्या का फैसला विवादों को शांत करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले पांच वर्षों में विभिन्न स्थानों पर मंदिरों और मस्जिदों से जुड़े विवाद बढ़े हैं।
वर्तमान स्थिति
- अयोध्या विवाद के बाद के नारे:
- अयोध्या के फैसले के बाद, “अयोध्या तो झांकी है, मथुरा-काशी बाकी है” जैसे नारों ने धार्मिक विवादों को नया आयाम दिया।
- इसके बाद से देश के अन्य धार्मिक स्थलों पर दावे और विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।
- पिछले 5 सालों में विवादों की संख्या:
- अब तक 16 विवाद सामने आए हैं।
- 9 नए मामले: इनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश से हैं।
- 3 पुराने विवाद: इनमें काशी का ज्ञानवापी मस्जिद, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, और कर्नाटक की बाबा बुदनगिरी दरगाह शामिल हैं।
- 4 अन्य विवाद: ये अभी चर्चा में हैं लेकिन कोर्ट तक नहीं पहुंचे, जैसे दिल्ली की जामा मस्जिद, विदिशा का बीजा मंडल, और हैदराबाद का चारमीनार।
- अब तक 16 विवाद सामने आए हैं।
- कोर्ट में गए नए विवादों का विवरण:
- उत्तर प्रदेश (5 मामले):
- इनमें से वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद विवाद सबसे प्रमुख है।
- अन्य मामलों में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद शामिल है।
- राजस्थान: चित्तौड़गढ़ के कुछ धार्मिक स्थल विवादों में हैं।
- दिल्ली: कुतुब मीनार और आसपास के क्षेत्रों को लेकर दावे किए जा रहे हैं।
- मध्य प्रदेश: विदिशा के बीजा मंडल मंदिर के नीचे मस्जिद होने का दावा।
- कर्नाटक: बाबा बुदनगिरी दरगाह पर विवाद।
- उत्तर प्रदेश (5 मामले):
विवादों के मुख्य मुद्दे
- मंदिर के अवशेष होने का दावा:
- कई मस्जिदों के नीचे मंदिर के अवशेष होने के दावे किए जा रहे हैं।
- उदाहरण: ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा।
- धार्मिक और ऐतिहासिक विवाद:
- ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक भावनाओं के आधार पर विवाद बढ़ रहे हैं।
- कानूनी और राजनीतिक पहलू:
- इन विवादों में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति का प्रभाव देखा गया है।
- राजनीतिक दल और संगठन इन मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं।
पुराने और नए विवाद
- पुराने विवाद:
- ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी): शिवलिंग मिलने के दावे के बाद यह मामला बढ़ा।
- टीले वाली मस्जिद (लखनऊ): यह मस्जिद विवाद में है, जिसमें इसके नीचे मंदिर होने का दावा किया गया है।
- बाबा बुदनगिरी दरगाह (कर्नाटक): हिंदू और मुस्लिम समुदाय इसे अपने-अपने धार्मिक स्थल के रूप में मानते हैं।
- नए विवाद:
- दिल्ली की जामा मस्जिद और कुतुब मीनार, हैदराबाद की चारमीनार, और मध्य प्रदेश के विदिशा के बीजा मंडल मंदिर से जुड़े नए दावे।
चुनौतियां और प्रभाव
- सामाजिक ताना-बाना:
- ऐसे विवादों से समाज में तनाव और धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।
- कानूनी व्यवस्था पर दबाव:
- कोर्ट में ऐसे विवादों की संख्या बढ़ने से न्यायिक प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है।
- राजनीतिक उपयोग:
- इन विवादों को राजनीतिक दल चुनावों और धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए मुद्दा बना सकते हैं।
संभल की जामा मस्जिद
उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद पिछले महीने सर्वे और फिर भड़की हिंसा की वजह से सुर्खियों में रहा था. हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई. इस पर जमकर राजनीति हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोगों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे पर निशाना भी साधा.
मस्जिद को लेकर यह दावा किया गया है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर यह मस्जिद बनाई गई है. संभल में पिछले महीने 19 नवंबर को स्थानीय अदालत की ओर से मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिए जाने के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई थी. हालांकि तब सर्वे का काम पूरा करा लिया गया था. लेकिन उसके बाद 24 नवंबर को मस्जिद की दूसरी बार सर्वे कराने का आदेश दिया गया जिस दौरान हिंसा भड़क गई. हिंसा में 5 लोगों की जान चली गई, जबकि कई घायल हो गए थे. मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है.
जौनपुर की अटाला मस्जिद
मंदिर-मस्जिद से जुड़ा यह मामला भी उत्तर प्रदेश से ही जुड़ा है. यूपी के जौनपुर जिले की अटाला मस्जिद पर भी विवाद खड़ा हो गया है. दावा किया जा रहा है कि इस मस्जिद को अटाला देवी मंदिर को तोड़कर बनाया गया. इस दावे का सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से विरोध किया गया. मामला कोर्ट पहुंचा तो जज ने कहा कि जब ज्ञानवापी और मथुरा जैसे मामले सुने जा सकते हैं तो यह क्यों नहीं सुना जा सकता. इस मामले को भी सुन सकते हैं.
बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद
शम्सी जामा मस्जिद का मामला भी यूपी से जुड़ा हुआ है. यह मस्जिद बदायूं जिले में पड़ती है. यह करीब हजार साल पुरानी मस्जिद है. इसे 13वीं सदी में गुलाम वंश के सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने बनवाया था. इस पर विवाद 2 साल पहले साल 2022 में शुरू हुआ जब यह दावा किया गया कि नीलकंठ महादेव के मंदिर को तोड़कर यह मस्जिद बनाई गई. हिंदू संगठनों की ओर से इस मस्जिद पर अपना दावा ठोंक दिया गया. मामला अब कोर्ट में है.
फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद
आगरा के पास पड़ने वाली फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद का मामला भी कोर्ट में हैं. यहां की जामा मस्जिद को लेकर दावा किया जा गया है कि पहले यहां पर कामाख्या देवी का मंदिर हुआ करता था और बाद में इसे तोड़कर मस्जिद बना दी गई. मंदिर होने के दावे के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और मस्जिद प्रबंधन समिति केस लड़ रही है.
मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद
उत्तर प्रदेश के मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है. साल 2020 में कई संगठनों की ओर से यह दावा किया गया कि मस्जिद को श्रीकृष्ण के जन्मस्थल पर बनाया गया. स्थानीय अदालत से होते हुए मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो उसने सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर ही रोक लगा दी. शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 18 मामले दाखिल किए गए हैं.
दिल्ली की कुव्वत मस्जिद पर विवाद
दिल्ली के विश्व प्रसिद्ध कुतुबमीनार के पास स्थित कुव्वत उल मस्जिद पर भी विवाद छिड़ गया. दावा किया गया कि कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़कर यह मस्जिद बनाई गई. मामला कोर्ट पहुंचा. साल 2021 में कोर्ट ने विवाद से जुड़ी याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान दौर की शांति को भंग नहीं किया जा सकता.
मेंगलुरु की जुम्मा मस्जिद
कर्नाटक के मेंगलुरु शहर में भी मंदिर-मस्जिद विवाद सामने आया है. साल 2022 में यह दावा किया गया कि इस मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर है. मंदिर से जुड़े बड़ी संख्या में अवशेष और मूर्तियां नीचे मौजूद हैं. कई संगठन यहां पर खुदाई करने और एएसआई से सर्वे कराए जाने की मांग कर रहे हैं. मामला अभी कोर्ट में लंबित है.
राजस्थान की अजमेर शरीफ की दरगाह
राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध अजमेर शरीफ की दरगाह पर यह नया विवाद सामने आया है. यह दरगाह सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. इसे लेकर एक हिंदू संगठन की ओर से दावा किया गया कि पहले यहां पर शिव मंदिर हुआ करता था. फिर इसे नष्ट कर दरगाह बनाई गई. यह मामला भी कोर्ट में चल रहा है.
मध्य प्रदेश का भोजशाला विवाद
मध्य प्रदेश के धार जिले में पड़ने वाला भोजशाला मस्जिद भी विवादों में आ गया है. इस मस्जिद को हिंदू वाग्देवी यानी सरस्वती देवी का मंदिर मानते हैं. जबकि मुसलमानों का कहना है कि यह कमाल मौला मस्जिद है. साल 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भोजशाला का सर्वे कराया गया. जिसमें 94 मूर्तियों के अलावा बड़ी संख्या में सिक्के मिले थे. फिलहाल यह केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.