उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक गैंगस्टर नकदू यादव ने फर्जी पहचान और दस्तावेजों के सहारे 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी की। आरोपी का फर्जीवाड़ा उसके भतीजे नंदलाल की शिकायत पर उजागर हुआ। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे निलंबित कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
- गैंगस्टर से होमगार्ड बनने तक की कहानी:
- नकदू यादव, जो हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती जैसे गंभीर अपराधों में शामिल रहा, ने 1989 में आठवीं कक्षा का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर होमगार्ड की नौकरी हासिल की।
- नौकरी पाने के लिए नकदू ने अपनी पहचान बदलकर नंदलाल यादव कर ली।
- भतीजे ने खोली पोल:
- नकदू के भतीजे नंदलाल ने 3 दिसंबर 2024 को तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण को शिकायत दी थी।
- जांच में पाया गया कि नकदू ने 1984 में हत्या का अपराध किया था और 1988 में गैंगस्टर एक्ट के तहत हिस्ट्रीशीटर घोषित किया गया था।
- इसके बावजूद, वह 1989 में होमगार्ड विभाग में शामिल हो गया।
- चरित्र प्रमाण पत्र में भी धांधली:
- नकदू की फर्जी पहचान को छिपाने में रानी की सराय थाना और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट की बड़ी लापरवाही सामने आई।
- 1992 में नकदू को चरित्र प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें अधिकारियों ने बिना उचित जांच के हस्ताक्षर कर दिए।
- 35 साल तक नौकरी और गिरफ्तारी:
- नकदू ने 1989 से 2024 तक रानी की सराय और मेहनगर थाने में होमगार्ड के तौर पर नौकरी की।
- आखिरकार मामले के उजागर होने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पुलिस की कार्रवाई:
- आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीना ने पुष्टि की कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेज और नाम परिवर्तन का सहारा लिया।
- नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
- विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इतने वर्षों तक नकदू पुलिस की पकड़ से बाहर कैसे रहा।
प्रमुख सवाल:
- कानूनी प्रक्रियाओं में लापरवाही:
- नकदू यादव जैसे हिस्ट्रीशीटर ने कैसे पुलिस और होमगार्ड विभाग को 35 साल तक धोखा दिया?
- चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने में संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं।
- सुरक्षा तंत्र की खामियां:
- ऐसे गंभीर अपराधी को पुलिस व्यवस्था में नौकरी मिलना और वर्षों तक उसका पर्दाफाश न होना, सुरक्षा तंत्र की बड़ी चूक को उजागर करता है।
यह मामला पुलिस तंत्र और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में गहरी खामियों की ओर इशारा करता है। 35 वर्षों तक नकदू यादव का बेखौफ होमगार्ड की नौकरी करना न केवल कानून व्यवस्था के प्रति उदासीनता को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद ऐसे अपराधी सिस्टम का हिस्सा बन सकते हैं। इस घटना से पुलिस विभाग को अपने भर्ती और जांच तंत्र को मजबूत करने की सीख लेनी चाहिए।