उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फँसे 41 श्रमिकों को निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है। सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री की सीधी नजर थी। प्रधानमंत्री की तरफ मौके पर केन्द्रीय राज्य सड़क और राजमार्ग मंत्री जनरल विजय कुमार सिंह भी पहुँचे थे।
— General Vijay Kumar Singh (@Gen_VKSingh) November 28, 2023
चूँकि यह सुंरग प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना ऑल वेदर रोड के अंतर्गत बन रही है। ऐसे में यह मामला जनरल वीके सिंह के विभाग से भी जुड़ा हुआ था। हालाँकि, यह कोई पहली बार नहीं है कि जनरल वीके सिंह ऐसी जगह समस्या सुलझाने पहुँचे हैं जहाँ देश के नागरिक फँसे हों।
जनरल वीके सिंह इससे पहले गृहयुद्ध में फँसे यमन, सूडान, यूक्रेन और इराक़ से भारतीयों को वापस लाने के ऑपरेशन का जिम्मा संभाल चुके हैं। वीके सिंह ऐसे मुश्किल जगहों पर जाकर भारतीयों को निकाल कर लाए हैं। वह ऐसी समस्याओं में भेजे जाने के लिए मोदी सरकार के ‘गो टू पर्सन’ हैं।
क्यों VK सिंह को ही चुनती है सरकार?
उनका 4 दशकों का सैन्य सेवा का अनुभव और एक दशक से अधिक का सार्वजनिक जीवन का अनुभव उन्हें ऐसे कठिन हालातों में समन्वय बनाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प बनाता है। वह 1972 से लेकर 2012 तक सैन्य सेवा में रहे हैं। वह श्रीलंका में गृहयुद्ध में भी सेवाएँ दे चुके हैं।
सैन्य सेवा के साथ ही उनका ऐसे राहत बचाव ऑपरेशन में पुराना अनुभव है। 2005 में जम्मू कश्मीर में आए भूकम्प में भी उन्होंने वहाँ राहत बचाव ऑपरेशन का नेतृत्व किया था। यह काफी शक्तिशाली भूकम्प था और इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी भारी तबाही हुई थी। VK सिंह की इस विशेषज्ञता को देखते हुए उन्हें मोदी सरकार ने ऐसे ऑपरेशन के लिए शुरुआत से ही चुना है।
ऑपरेशन राहत – यमन
वर्ष 2015 में यमन में हूती विद्रोहियों और सरकार के बीच छिड़ी लड़ाई के कारण 4,000 से अधिक भारतीय फँस गए थे। लड़ाई गंभीर होने और सऊदी अरब जैसे देशों की बमबारी के कारण मानवीय संकट पैदा हो गया था। इन भारतीयों को यमन से सुरक्षित लाने के लिए जनरल वीके सिंह को मोदी सरकार ने जिबूती भेजा जो कि यमन के दूसरी और तट पर स्थित है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायु सेना और नौसेना ने 4,600 से अधिक भारतीयों को निकाला था।
जनरल वीके सिंह इस दौरान इस पूरे ऑपरेशन के कमांडर थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी जनरल वीके सिंह की तारीफ़ की, उन्होंने कहा था कि वह एक सैनिक तरह वहाँ खड़े रहे और भारतीयों को लेकर आए।
ऑपरेशन संकट मोचन – दक्षिणी सूडान
वर्ष 2016 में दक्षिणी सूडान में गृहयुद्ध छिड़ने के कारण 600 भारतीय फँस गए थे। इस ऑपरेशन को भी जनरल VK सिंह के हाथों में दिया गया था। इसमें 600 से अधिक भारतीयों को वायुसेना की सहायता से निकाला गया था। वीके सिंह इस ऑपरेशन के लिए खुद ही दक्षिणी सूडान गए थे।
इराक़ से शवों को वापस लाना
जनरल वीके सिंह वर्ष 2018 में इराक से 39 भारतीयों के शवों के अवशेषों को वापस लेकर आए थे। यह सभी इराक में इस्लामी आतंकी संगठन ISIS द्वारा मार दिए गए थे। इनके शवों को लाने के लिए वीके सिंह 2018 में वायुसेना के विशेष विमान द्वारा इराक गए थे।
ऑपरेशन गंगा – यूक्रेन
भारत ने फरवरी 2022 में चालू हुए यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद अपने नागरिकों को, जिनमें सबसे बड़ी संख्या में छात्र थे, निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ चालू किया था। परिस्थितियाँ विपरीत होने के बाद भी जनरल वीके सिंह को पोलैंड भेजा गया जहाँ से छात्रों को निकाला गया।
जनरल सिंह ने इस ऑपरेशन में पोलैंड पहुँच कर छात्रों के भारत वापस आने को सुनिश्चित किया था। वह कई दिन तक पोलैंड में रहे थे और जब भारतीय छात्र घर आ गए तब वह वापस आए।