उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पड़ोसी देशों में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर वैश्विक समुदाय की चुप्पी पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पड़ोस से अत्याचार सहने के बाद अपनी अंतरात्मा की आवाज पर चलने का साहस दिखाने वाले लोग भारत में शरण लेने आते हैं, परंतु उनके खिलाफ भी मानवाधिकारों के नाम पर विरोध किया जाता है।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने हमेशा से मानवाधिकारों के सभ्यतागत संरक्षक की भूमिका निभाई है। लेकिन, उन्होंने पड़ोसी देशों में हिंदुओं की दुर्दशा पर तथाकथित नैतिक उपदेशकों और मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी की आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह चुप्पी पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है। ये मानवाधिकारों के विपरीत काम करने वाले भाड़े के सैनिक हैं। हमें यह देखना चाहिए कि वहां लड़के, लड़कियां और महिलाएं कैसी बर्बरता, यातना और दर्दनाक अनुभवों का सामना कर रही हैं। हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है।”
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि हिंदुओं द्वारा जिन मानवीय संकटों का सामना किया जा रहा है, उन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने वैश्विक आक्रोश की कमी पर सवाल उठाया और कहा कि इस तरह के मानवाधिकार उल्लंघनों के प्रति अत्यधिक सहनशील होना अनुचित है।
मानवाधिकार उल्लंघनों पर वैश्विक आक्रोश की कमी
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि मानवाधिकारों का इस्तेमाल कभी भी विदेश नीति के साधन के रूप में दूसरों पर शक्ति और प्रभाव जमाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे ‘नाम लेने और शर्मिंदा करने’ की कूटनीति का घटिया रूप बताया और कहा कि “आपको केवल वही उपदेश देना चाहिए जो आप स्वयं करते हैं।” उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की सराहना की और कहा कि इसका उद्देश्य उत्पीड़न से बचकर भारत आए राष्ट्रविहीन शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मानवाधिकार रिकॉर्ड अन्य देशों की तुलना में कहीं बेहतर और बेजोड़ है, विशेषकर अल्पसंख्यकों, हाशिए पर पड़े और समाज के कमजोर वर्गों के संरक्षण के मामले में।
खतरनाक ताकतों के खिलाफ चेतावनी
धनखड़ ने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के प्रयासों के खिलाफ भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “हमारे अंदर और बाहर ऐसी हानिकारक ताकतें हैं जो एक सुनियोजित तरीके से हमें गलत तरीके से कलंकित करने की कोशिश कर रही हैं। इन ताकतों का एजेंडा मानवाधिकारों की वास्तविक चिंता से कोसों दूर है।”
इस कार्यक्रम में एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी, महासचिव भरत लाल, और अन्य प्रमुख गण्यमान्य उपस्थित थे।