ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित ऐतिहासिक लिंगराज मंदिर में चल रहे विवाद के कारण मकर संक्रांति जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर अनुष्ठानों का रुकना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह स्थिति बादु निजोग और महासूरा निजोग सेवादारों के बीच अधिकारों और परंपराओं को लेकर मतभेद के कारण उत्पन्न हुई है। विवाद के कारण न केवल पुष्यभिषेक संध्या धूप और घृत कमला अनुष्ठान बाधित हुए हैं, बल्कि भगवान को भोग भी नहीं चढ़ाया जा सका, जिससे भक्तों में भारी आक्रोश है।
मुख्य विवाद के बिंदु:
- घृत कमला अनुष्ठान का अधिकार:
- बादु निजोग सेवादारों ने दावा किया कि घी चढ़ाने का कार्य सिर्फ उनका अधिकार है।
- महासूरा निजोग सेवादारों ने इस दावे का विरोध किया, क्योंकि परंपरा के अनुसार घृत कमला लागी का पहला दौर महासूरा सेवादार करते हैं।
- घी का वितरण:
- बादु निजोग समूह ने इस मुद्दे को उठाया कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले घी का वितरण उनके परिवारों में किया जाता है। महासूरा समूह इस अधिकार को चुनौती दे रहा है।
मंदिर प्रशासन की भूमिका:
मंदिर प्रशासन और राज्य सरकार इस विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, दोनों पक्षों के अड़े रहने के कारण समाधान नहीं निकल पाया।
#WATCH | #Bhubaneswar | Dispute between Lingaraj Temple servitors: "An emergency meeting of the Trust Board will be held this afternoon where servitors will be requested to resume the rituals… There are some legal glitches in the temple Satwalipi… Government is contemplating… pic.twitter.com/QYAGN5tz6f
— Argus News (@ArgusNews_in) January 15, 2025
राज्य सरकार का हस्तक्षेप:
- जाँच आयोग:
- राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने विवाद की जाँच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की घोषणा की है।
- सख्त चेतावनी:
- दोनों पक्षों को अनुष्ठानों को बाधित करने के लिए कड़ी चेतावनी दी गई है।
- बैठकें:
- विवाद निपटाने के लिए उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें आयुक्त, खुर्दा कलेक्टर, और कानून विभाग के अधिकारी शामिल हुए। हालांकि, अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका।
- भोग चालू करने के प्रयास:
- ट्रस्ट बोर्ड की बैठक बुलाकर भगवान को भोग अर्पण करने और अनुष्ठानों को बहाल करने का प्रयास किया जाएगा।
भक्तों की प्रतिक्रिया:
भक्तों ने इस विवाद को भगवान की अनदेखी और धार्मिक कर्तव्यों की अवहेलना बताया है। उनका कहना है कि भगवान लिंगराज को भूखे रखना अक्षम्य है और संबंधित सेवादारों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जो अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। मकर संक्रांति पर तीन दिवसीय अनुष्ठान मंदिर की परंपरा का हिस्सा है, और इसे रोकना न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी गंभीर मसला है।
इस प्रकार के विवादों से धार्मिक स्थलों की गरिमा और भक्तों की आस्था प्रभावित होती है। राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन को चाहिए कि वे जल्दी से समाधान निकालें ताकि अनुष्ठान बहाल हो सके और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए स्पष्ट नियमावली बनाई जा सके।