AIMIM चीफ असदुद्दीन उवैसी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर जबानी हमला किया है. लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी का इल्जाम है कि ‘वह इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग जैसी प्रमुख खुफिया एजेंसियों में नियुक्तियों को लेकर मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रह जाहिर करती है.
ओवैसी ने किया हमला
एक रिपोर्ट का हवाला देकर ओवैसी ने कहा कि मौजूदा हुकूमत मुसलमानों से वफादारी का सबूत मांगती है लेकिन वह उनका बराबर का नागरिक मानने में नाकाम है. ओवैसी ने कहा कि “दशकों में यह पहली बार है जब इंटेलिजेंस ब्यूरो की सीनियर कयादत में कोई मुस्लिम अधिकारी नहीं होगा. यह एक बानगी भर है कि भाजपा मुसलमानों को किस नजर से देखती है. इंटेलीजेंस ब्यूरो और रॉ बहुसंख्यकवादी इदारे बन गए हैं. आप लगातार मुसलमानों से उनकी वफादारी का सबूत मांगते हैं, लेकिन कभी बराबरी का नागरिक नहीं मानते.”
For the first time in decades, there won’t be any Muslim officers in Intelligence Bureau’s senior leadership. It is a reflection of the suspicion with which BJP sees Muslims. IB & R&AW have become exclusive majoritarian institutions. You constantly demand proof of loyalty from… pic.twitter.com/LtB5TjIDN7
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 23, 2023
IB में नहीं है कोई मुस्लिम
असदुद्दीन ओवैसी ने एशियन एज की एक रिपोर्ट शेयर की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कई दशकों में पहली बार ऐसा है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो में कोई भी मुस्लिम ऊंचे पद पर नहीं होगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईबी में सबसे आखिरी मुस्लिम कर्मचारी एसए रिजवी जो स्पेशल डायरेक्टर के पद पर थे नहें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में भेज दिया गया है. यहां उन्हें एडवाइजर के तौर पर रखा गया है.
भाजपा सरकार में मुस्लिम कर्मचारियों की घटी तादाद
रिपोर्ट में कहा गया है कि “यह देखा गया है कि हाल के सालों में IB में मुस्लिम IPS अफसरों की तादाद में काफी कमी आई है. यह पहले की सरकारों से बिल्कुल अलग है कि जब आसिफ इब्राहिम IB के निदेशक के पद तक पहुंचे थे या असम कैडर के IPS अधिकारी रफीउल आलम एजेंसी में अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान प्रमुख का पद संभाल सकते थे.”