महाकुंभ 2025 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए हिंदू श्रद्धालुओं का आगमन धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से एक महत्वपूर्ण घटना है। यह दिखाता है कि सनातन परंपराओं और आस्थाओं की जड़ें कितनी गहरी हैं, जो राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ती हैं।
पाकिस्तानी हिंदुओं की महाकुंभ यात्रा: प्रमुख बातें
- सिंध से 68 हिंदू श्रद्धालुओं का जत्था पहुँचा – गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल जिलों से आए श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे और संगम में डुबकी लगाई।
- हरिद्वार में अस्थि विसर्जन – इन श्रद्धालुओं ने पहले हरिद्वार जाकर अपने 480 पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन किया और फिर महाकुंभ में आए।
- सनातन संस्कृति के गौरव की अनुभूति – पहली बार भारत आए कई श्रद्धालु अपने धर्म और संस्कृति को निकट से जानने का अनुभव कर रहे हैं, जिससे उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है।
- वीजा प्रक्रिया आसान करने की माँग – श्रद्धालुओं ने भारत सरकार से वीजा प्रक्रिया को सरल करने की अपील की, ताकि धार्मिक यात्राएं अधिक सुगम हो सकें।
भारत-पाकिस्तान धार्मिक यात्राओं का महत्व
- धार्मिक पर्यटन का बढ़ता रुझान: महाकुंभ के अलावा, पाकिस्तानी हिंदू हर साल हरिद्वार, वैष्णो देवी, और राम मंदिर जैसे स्थानों पर आने की इच्छा रखते हैं।
- सीएए (CAA) और नागरिकता मुद्दा: पाकिस्तानी हिंदुओं ने माना कि सिंध में उन्हें उतनी परेशानी नहीं होती जितनी अन्य क्षेत्रों में, लेकिन कई लोग भारत में बसने के इच्छुक हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: ऐसे आयोजनों से यह साबित होता है कि विभाजन के बाद भी धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध जीवंत हैं।
क्या भारत सरकार वीजा प्रक्रिया को सरल कर सकती है?
भारत पहले से ही सीएए के तहत सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रक्रिया में है, लेकिन सामान्य वीजा प्रक्रियाओं में सुधार से अधिक श्रद्धालु भारत आ सकते हैं। आप क्या सोचते हैं—क्या धार्मिक यात्राओं के लिए भारत को पाकिस्तानी हिंदुओं को वीजा सुविधा और बढ़ानी चाहिए?