गुजरात मॉडल, जिसने अन्य राज्य सरकारों को अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया है, एक जटिल लेकिन सावधानीपूर्वक बुना गया मैट्रिक्स है। इसके स्तंभों में से एक है विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास- चाहे वह भौतिक बुनियादी ढांचा हो, मानव विकास बुनियादी ढांचे के सभी पक्ष हों, आकांक्षात्मक, तकनीकी या वित्तीय बुनियादी ढांचे हों।
गुजरात में देश की सबसे अच्छी सड़कें थीं, यह अब कोई खबर नहीं है। गुजरात अपने सभी 18,000 गांवों को पूरे साल 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने वाला पहला राज्य था, यह भी अब कोई खबर नहीं है। गुजरात ने भारत में शहर आधारित उच्च गति बस परिवहन प्रणाली बीआरटीएस को सफलतापूर्वक लागू किया, यह कोई खबर नहीं है। गुजरात ने शुरू से ही आॅटोमोबाइल में विनिर्माण केंद्र बनाया, यह अब कोई खबर नहीं है। यह सब अब स्थापित ज्ञान है। यह न केवल एक विस्तृत योजना का परिणाम है, बल्कि अथक प्रयासों और परिणाम-उन्मुख कार्य योजनाओं का कुल योग भी है।
20 वर्ष में उन्नत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करके गुजरात सरकार ने अपने नागरिकों के लिए ‘ईज आफ लिविंग’ को साकार किया है। संक्षेप में, गुजरात मॉडल इस विश्वास की उपयुक्तता का प्रमाण है कि उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण किसी राज्य और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाता है और दुनिया में रचनात्मक योगदान दे सकता है।
उदाहरण के लिए, गुजरात की बहुचर्चित रोड कनेक्टिविटी प्रगतिपथ, विकासपथ, किसानपथ, प्रवासी पथ योजना (पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए) आदि जैसी कई बड़ी योजनाओं के माध्यम से हासिल की गई है। इसी तरह, अमदाबाद मेट्रो, वंदे भारत और बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं से रेलवे का बुनियादी ढांचा विकसित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) के नेतृत्व में शुरू ‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट’ ने राज्य में विश्वस्तरीय औद्योगिक बुनियादी ढांचे की निरंतरता और उसकी स्थिरता भी सुनिश्चित की।
बीते 20 वर्ष में राज्य ने सड़क से लेकर रेल संपर्क और बंदरगाह से हवाईअड्डे तक संपर्क जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। सड़क बुनियादी ढांचे से परे गुजरात का रेल संपर्क भी बेहतर और रणनीतिक रूप से डिजाइन किया गया है। राज्य सरकार की संस्था गुजरात रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड (जी-राइड), औद्योगिक संपदा, बंदरगाहों व दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) के साथ रेलवे संपर्क सुनिश्चित करता है। इस पहल से राज्य की वैश्विक निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
देश की पहली बुलेट ट्रेन के लिए मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी तरह, गुजरात की बंदरगाह कनेक्टिविटी ने इसे एक महत्वपूर्ण औद्योगिक व आर्थिक प्रदर्शनकर्ता के रूप में स्थापित किया है। भारत का पहला निजी बंदरगाह गुजरात में है। यह अत्याधुनिक ग्रीनफील्ड बंदरगाह भी विकसित कर रहा है। अपने बंदरगाह बुनियादी ढांचे से राज्य अभी देश के 40 प्रतिशत से अधिक कार्गो को संभाल रहा है।
गुजरात 4,000 करोड़ रुपये की लागत से भावनगर में दुनिया का पहला सीएनजी टर्मिनल व ब्राउनफील्ड बंदरगाह विकसित कर रहा है। इसमें दुनिया के चौथे सबसे बड़े लॉक गेट सिस्टम के साथ दुनिया के पहले सीएनजी टर्मिनल के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा होगा। सीएनजी टर्मिनल के अलावा यह बंदरगाह क्षेत्र में विभिन्न आगामी परियोजनाओं की भविष्य की जरूरतों और मांगों को भी पूरा करेगा। बंदरगाह में एक अत्याधुनिक कंटेनर टर्मिनल, बहुउद्देशीय टर्मिनल और लिक्विड टर्मिनल होगा, जो मौजूदा सड़क मार्ग और रेलवे नेटवर्क से सीधे डोर-स्टेप कनेक्टिविटी के साथ होगा। राज्य में वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की लगातार बढ़ती क्षमता है।
भारत का पहला सौर पार्क 2012 में गुजरात के चरंका में स्थापित किया गया था। अब दुनिया का सबसे बड़ा हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा पार्क कच्छ में विकसित किया जा रहा है। औद्योगिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर निवेश से गुजरात क्षेत्र-विशिष्ट औद्योगिक बुनियादी ढांचे का केंद्र बन गया है। आज गुजरात का धोलेरा एसआईआर विनिर्माण क्षेत्र में बढ़े हुए निवेश का केंद्र बन रहा है, जबकि मंडल बेचराजी एसआईआर आटोमोबाइल विनिर्माण इकाइयों के लिए एक केंद्र के रूप में उभरा है। राज्य पीसीपीआईआर रसायन और पेट्रोकेमिकल उद्योग में पर्याप्त निवेश आकर्षित कर रहा है।
गुजरात ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक एकीकृत राज्यव्यापी गैस ग्रिड विकसित किया है, जबकि जल ग्रिड नेटवर्क 75,000 किमी. लंबा है और 14,000 से अधिक गांवों व 154 कस्बों को कवर करता है। ज्योतिग्राम योजना से राज्य के सभी गांवों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। गुजरात पीएम गति शक्ति पोर्टल लांच करने वाला पहला राज्य है।
पिछले 20 वर्ष में उन्नत बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करके गुजरात सरकार ने अपने नागरिकों के लिए ‘ईज आफ लिविंग’ को साकार किया है। संक्षेप में, गुजरात मॉडल इस विश्वास की उपयुक्तता का प्रमाण है कि उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण किसी राज्य और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाता है और दुनिया में रचनात्मक योगदान दे सकता है।