गुलमर्ग में बर्फीली वादियों के बीच आयोजित इस फैशन शो को लेकर इस्लामी कट्टरपंथियों की नाराजगी यह दिखाती है कि वे अब भी जम्मू-कश्मीर में प्रगतिशील बदलावों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक और कुछ अन्य मजहबी नेताओं द्वारा इसे “अश्लीलता” करार देना पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों पर एक अनावश्यक धार्मिक एजेंडा थोपने जैसा है।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस विवाद को तूल न देने की कोशिश की है और प्रशासन से रिपोर्ट माँगने की बात कहकर एक संतुलित रुख अपनाया है। लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले पर किस तरह से प्रतिक्रिया देती है, क्योंकि यह सिर्फ एक फैशन शो नहीं, बल्कि बदलते कश्मीर और बढ़ते पर्यटन के संकेतों में से एक है।
इस मामले के प्रमुख पहलू:
1️⃣ पर्यटन और संस्कृति: गुलमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों पर ऐसे आयोजन कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने में मदद करते हैं।
2️⃣ आधुनिकता बनाम कट्टरता: कुछ इस्लामी कट्टरपंथी अब भी चाहते हैं कि कश्मीर पुराने मजहबी दायरों में जकड़ा रहे, जबकि नए दौर में यह एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है।
3️⃣ सरकार का रुख: प्रशासन पर दबाव रहेगा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक गतिविधियों को सुरक्षित रखते हुए कट्टरपंथी ताकतों को संतुष्ट न होने दे।
Gulmarg's snowy slopes recently hosted a stunning fashion show, showcasing Kashmir's peaceful revival. But Islamist radicals & local politicians are up in arms, deeming it a 'national security threat'! Talk about misplaced priorities! Frustrated folks! #Kashmir #FashionForPeace pic.twitter.com/b9haijcaYM
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 9, 2025
मीरवाइज उमर फारूक और अन्य इस्लामी कट्टरपंथियों की यह प्रतिक्रिया कश्मीर के बदलते सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के खिलाफ उनकी हताशा को दर्शाती है। उन्होंने इस फैशन शो को “शर्मनाक” और “अश्लील” बताते हुए रमज़ान का हवाला दिया, लेकिन हकीकत यह है कि यह आयोजन पूरी तरह पर्यटन और फैशन इंडस्ट्री से जुड़ा था, न कि किसी धार्मिक गतिविधि से।
मुख्य बिंदु:
1️⃣ पर्यटन और आर्थिक विकास – गुलमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों पर इस तरह के आयोजन न सिर्फ कश्मीर को ग्लोबल मंच पर ले जाते हैं बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देते हैं। कश्मीर में पर्यटन बहाल करना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।
2️⃣ कट्टरपंथ बनाम आधुनिकता – घाटी में पहले भी बॉलीवुड की शूटिंग, विंटर स्पोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय इवेंट होते रहे हैं, लेकिन अब जब फैशन शो हुआ तो इसे ‘अश्लीलता’ कहकर विरोध किया जा रहा है।
3️⃣ रमज़ान का बहाना? – धार्मिक भावनाएँ निजी आस्था का विषय हैं, लेकिन सार्वजनिक आयोजनों पर इस्लामी कानून लागू करने की मानसिकता कट्टरपंथी सोच का प्रतीक है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
सरकार को चाहिए कि ऐसे आयोजनों को बढ़ावा दे और कट्टरपंथियों के दबाव में न आए। जम्मू-कश्मीर सिर्फ एक धार्मिक क्षेत्र नहीं, बल्कि एक बहुसांस्कृतिक और पर्यटन प्रधान राज्य है, जिसे बंदिशों में जकड़ने की नहीं, बल्कि खुली सोच से आगे बढ़ाने की ज़रूरत है।
Outrageous! That In the holy month of Ramzan an obscene fashion show is organised in #Gulmarg, pictures & videos from which have gone viral sparking shock and anger among people. How could it be tolerated in the valley known for its sufi, saint culture and the deeply religious…
— Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) March 9, 2025
उमर अब्दुल्ला का यह बयान दिखाता है कि वे कट्टरपंथियों को नाराज नहीं करना चाहते और राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ मीरवाइज उमर फारूक के गुस्से को “जायज” ठहराया, बल्कि प्रशासन से रिपोर्ट माँगकर संकेत दिया कि वे इस विवाद को ज्यादा तूल देना चाहते हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में कुछ अहम पहलू:
1️⃣ राजनीतिक नफा-नुकसान – उमर अब्दुल्ला शायद इस मुद्दे पर अपनी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं और घाटी के कट्टरपंथी वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते।
2️⃣ पर्यटन बनाम कट्टरता – फैशन शो जैसे कार्यक्रम कश्मीर को ग्लोबल टूरिज्म हब के रूप में आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन कट्टरपंथी ताकतें इसे अपनी धार्मिक सोच के खिलाफ मानती हैं।
3️⃣ ‘स्थानीयों की उपेक्षा’ का तर्क – उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस फैशन शो में स्थानीयों की उपेक्षा हुई। यह तर्क भ्रामक लगता है, क्योंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन था और टूरिज्म सेक्टर के तहत किया गया था, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को ही फायदा मिलता।
सरकार को क्या करना चाहिए?
✅ पर्यटन और सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा देना चाहिए।
✅ कट्टरपंथियों के दबाव में आकर ऐसे आयोजनों पर रोक नहीं लगानी चाहिए।
✅ गुलमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने के लिए और ज्यादा प्रयास करने चाहिए।
Outrageous! That In the holy month of Ramzan an obscene fashion show is organised in #Gulmarg, pictures & videos from which have gone viral sparking shock and anger among people. How could it be tolerated in the valley known for its sufi, saint culture and the deeply religious…
— Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) March 9, 2025
खुर्शीद अहमद शेख और मीरवाइज उमर फारूक जैसे नेताओं का इस फैशन शो पर विरोध कश्मीर में बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ और राजनीति के मेलजोल को दर्शाता है। यह न केवल पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों के खिलाफ एक अभियान है, बल्कि घाटी में उदारवाद और आधुनिकता को रोकने का प्रयास भी है।
खुर्शीद अहमद शेख के बयान का विश्लेषण
🔹 “रमज़ान के पाक महीने” का तर्क – यह आयोजन धार्मिक स्थल पर नहीं हुआ, बल्कि एक पर्यटन स्थल पर हुआ था। अगर रमज़ान के महीने में इस तरह के आयोजनों से समस्या है, तो क्या पर्यटन पूरी तरह रोक दिया जाए?
🔹 “अर्धनग्न पुरुषों और महिलाओं” का मुद्दा – फैशन शो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसी तरह होते हैं, और इसमें भाग लेने वाले लोग अपनी इच्छा से इसमें शामिल हुए। इसे अश्लील कहना कट्टरपंथी सोच को दर्शाता है।
🔹 “नैतिक, सांस्कृतिक और मजहबी मूल्यों को नष्ट करने” का आरोप – कश्मीर की संस्कृति केवल इस्लामी कट्टरता तक सीमित नहीं है। यह सूफी परंपराओं, कश्मीरी पंडितों, शैव दर्शन और एक समृद्ध ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई है।
इस विवाद का असली कारण क्या है?
👉 कट्टरपंथी तत्व कश्मीर में पर्यटन और सांस्कृतिक खुलापन नहीं चाहते, क्योंकि यह उनकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर कर सकता है।
👉 स्थानीय लोगों को गुमराह करने के लिए यह धार्मिक भावनाओं को भड़काने की एक कोशिश है।
👉 विपक्षी दलों को यह मुद्दा बीजेपी सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने का एक मौका मिल रहा है।
सरकार को क्या करना चाहिए?
✅ पर्यटन और सांस्कृतिक आयोजनों का समर्थन करना चाहिए।
✅ कट्टरपंथियों के दबाव में आकर ऐसे आयोजनों पर रोक नहीं लगानी चाहिए।
✅ स्थानीय प्रशासन को इन आयोजनों को और बेहतर तरीके से प्रमोट करना चाहिए ताकि कश्मीर का सकारात्मक पक्ष सामने आए।
The shock & anger are totally understandable. The images I have seen show a complete disregard for local sensitivities & that too during this holy month. My office has been in touch with the local authorities & I’ve asked for a report to be submitted within the next 24 hours.… https://t.co/xwY17ZdeAt
— Office of Chief Minister, J&K (@CM_JnK) March 9, 2025