नवनियुक्त चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने शुक्रवार को पदभार ग्रहण कर लिया। दोनों चुनाव आयुक्तों का स्वागत मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने किया। पूर्व नौकरशाहों को गुरुवार को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। आयोग में दोनों ही पद हाल ही में अरुण गोयल के इस्तीफा देने और अनूप चंद पांडेय के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने के चलते खाली हो गए थे।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार और सुखविंदर संधू
सुखविंदर संधू, पंजाब मूल के हैं और उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी और NHAI के चेयरमैन रह चुके हैं। वहीं, ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के IAS अफसर हैं और गृह मंत्रालय में तैनात रह चुके हैं। धारा 370 पर फैसले के वक्त गृह मंत्रालय में तैनात थे। सहकारिता मंत्रालय में सचिव पद से रिटायर हुए हैं।
Two newly-appointed Election Commissioners, Gyanesh Kumar and Dr Sukhbir Singh Sandhu joined the Commission today: ECI pic.twitter.com/N5ZXd4RxQQ
— ANI (@ANI) March 15, 2024
आगरा के रहने वाले हैं ज्ञानेश कुमार
केरल कैडर के पूर्व आइएएस ज्ञानेश कुमार का नाता यूपी से है। वो आगरा विजयनगर के रहने वाले हैं। गैलाना रोड पर श्रीराम सेंटेनियल स्कूल उनके पिता डा. सुबोध गुप्ता चलाते हैं। छोटे भाई मनीष कुमार आगरा में उपायुक्त कस्टम एंड एक्साइज रह चुके हैं। इनकी बेटी मेधा रूपम आइएएस टापर रही हैं। छोटी बेटी भी आईएएस है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय ज्ञानेश गृह मंत्रालय में सचिव थे। फिलहाल वो श्रीराम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट में सरकार के प्रतिनिधि हैं।
चुनाव तारीखों का एलान जल्द
लोकसभा चुनाव के एलान को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। ऐसे में अब इसका कभी भी एलान हो सकता है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसके तहत 16 या 17 मार्च को इसका एलान किया जा सकता है।
अधीर रंजन चौधरी ने नियुक्ति पर उठाए थे सवाल
बता दें कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सियासी गली में गुरुवार को काफी हंगामा मचा रहा. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए थे. कांग्रेस नेता ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि उनसे बहुत ही अव्यावहारिक तरीके से नियुक्ति में शामिल होने के लिए कहा गया. उनका आरोप था कि पहले 212 नामों की एक लंबी लिस्ट थमाकर सिर्फ एक रात का वक्त दिया और फिर अगली सुबह सिर्फ 6 नाम सामने रख दिए. ये सिर्फ 10 मिनट पहले हुआ है. अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया है कि, इतने कम समय में कैसे नाम तय किए जा सकते थे.