फोर्डो न्यूक्लियर साइट को पहुंचा नुकसान, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा
अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर एक साथ हमला किया है, जिसमें सबसे बड़ा निशाना फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट बना। विशेषज्ञों और सैटेलाइट इमेजरी की मानें तो यह हमला बेहद गंभीर और गहराई तक असर डालने वाला था, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। अमेरिका ने इस ऑपरेशन में MOP (Massive Ordnance Penetrator) बम का इस्तेमाल किया, जिसे “बंकरफोड़ बम” कहा जाता है और यह गहरे भूमिगत ठिकानों को तबाह करने की क्षमता रखता है।
क्या फोर्डो साइट नष्ट हो गई?
पूर्व UN परमाणु निरीक्षक डेविड अलब्राइट के अनुसार, अमेरिका के हमले से फोर्डो में स्थित यूरेनियम एनरिचमेंट सेंट्रीफ्यूज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। हालांकि, सीएनए कॉर्पोरेशन के रिसर्चर डेकर एवेलेथ का कहना है कि इतनी गहराई में मौजूद ठिकानों को सिर्फ सैटेलाइट तस्वीरों से मापना संभव नहीं है।
ईरान ने पहले ही हटा दिया था यूरेनियम?
रिपोर्ट्स के अनुसार, हमले से पहले फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर “असामान्य गतिविधियां” देखी गईं। सैटेलाइट तस्वीरों में एंट्री गेट पर ट्रकों की लंबी कतारें दिखीं, जिससे संदेह है कि हथियार-ग्रेड यूरेनियम और अन्य महत्वपूर्ण घटकों को पहले ही एक गुप्त स्थान पर भेज दिया गया था। एक वरिष्ठ ईरानी सूत्र ने इसकी पुष्टि रॉयटर्स से बातचीत में की है।
ईरान का कार्यक्रम कितने पीछे गया?
परमाणु विशेषज्ञ जेफरी लुईस का मानना है कि अमेरिका और इज़राइल का यह प्रयास शायद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कुछ साल पीछे धकेलने में सफल रहा हो, लेकिन ऐसी कई गुप्त साइटें हो सकती हैं, जिनकी जानकारी किसी के पास नहीं है। यानी खतरा अभी टला नहीं है।
निष्कर्ष:
अमेरिका और इज़राइल ने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर बड़ी कार्रवाई की है, लेकिन ईरान ने चतुराई से पहले ही संवेदनशील सामग्री को हटा लिया हो सकता है। ऐसे में भले ही साइट को नुकसान पहुंचा हो, लेकिन ईरान का परमाणु खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है — यह केवल कुछ समय के लिए धीमा जरूर हुआ है।
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