हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए मुहिम की शुरुआत 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित ‘प्रथम विश्व हिंदी सम्मलेन’ से हुई थी। आपातकाल के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी सरकार की सरकार बनी, जिसमें बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे। तब पहली बार 1977 में वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया। 2002 में जब वह प्रधानमंत्री थे, तब भी उन्होंने ने हिंदी में भाषण दिया था।
3 जनवरी, 2018 को एक प्रश्न के उत्तर में सुषमा स्वराज ने लोकसभा को बताया था कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र का सातवां आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भारत को 193 सदस्य देशों में से दो तिहाई बहुमत यानी कम से कम 129 सदस्य देशों का समर्थन चाहिए। बाद में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो इस दिशा में प्रयास शुरू हुआ। संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में हिंदी में अपना ट्विटर हैंडल शुरू किया और 2019 में हिंदी में न्यूज पोर्टल शुरू किया, जबकि हिंदी में रेडियो बुलेटिन पहले से ही प्रसारित कर रहा था। 10 जून, 2022 को हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की सहकारी कामकाज की भाषा के रूप में स्वीकार किया गया।
संविद सरकारों का गठन संविद का अर्थ होता है संयुक्त विधायक दल। 1967 के चुनाव ने भारत की राजनीति में एक दल के प्रभुत्व के दौर की समाप्ति का बिगुल बजा दिया। कांग्रेस का वोट प्रतिशत इस चुनाव में 7.30 प्रतिशत तक गिरा और उसकी सीटें एक तिहाई कम हो गईं। इस चुनाव के बाद 9 राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें अस्तित्व में आईं, जिनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु और केरल थे। संयुक्त विधायक दल के समीकरण चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद बने थे। इससे यह भी स्थापित हुआ कि कांग्रेस सत्ता से बाहर भी हो सकती है।