भारत में इन दिनों ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे का मुद्दा सुर्खियों में है। ज्ञानवापी और मां श्रृंगार गौरी मामले में ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ सर्वे करवाए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला गुरुवार को सुना दिया है। हाई कोर्ट ने जिला अदालत के द्वारा ज्ञानवापी में वजूखाने को छोड़ पूरे परिसर का एएसआइ सर्वे किए जाने के आदेश को बरकरार रखा है। अखिल भारतीय संत समिति ने फैसले का स्वागत किया है। साधु संतों ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरसवती ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर का एएसआई द्वारा सर्वे होने पर पूरी दुनिया सच्चाई को जान और देख पाएगी। कोर्ट ने आज जो फैसला दिया वो सत्यता की जीत को दर्शाता है। ज्ञानवापी के माथे पर लगे गुलामी के चिन्हों अवश्य ही मिटेंगे। जिस सच को वर्षों पहले दबा दिया गया था। वो सच सबके सामने आ जायेगा।
वादिनी रेखा पाठक ने बताया कि भोले शंकर को सावन बहुत प्रिय है। इसी लिए बाबा चाहते हैं कि सावन में ही सर्वे हो जाए। पैरोकार सोहन लाल ने बताया कि कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही ज्ञानवापी परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सर्वे को हरी झंडी दे दी है। ये सनातन धर्म की बड़ी जीत है। मुस्लिम पक्ष आखिर सर्वे से क्यो डर रहा है। सावन में महादेव खुद चाहते कि सच की तस्वीर पूरी दुनिया देखे। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि एएसआई की टीम प्रशासन से जैसा मदद चाहेगी, हमारी ओर से मिलेगा। मामला न्यायालय में है, टिप्पणी करना उचित नहीं है।