केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में वायनाड की त्रासदी पर चर्चा के दौरान कहा था कि आपदा प्रबंधन पर इसी सत्र में एक विधेयक लाया जाएगा। 24 घंटे के अंदर अमित शाह ने अपना वादा पूरा किया और अगले दिन ही यह विधेयक संसद में पेश कर दिया गया। सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया जो आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करके लाया गया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में विधेयक पेश किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस सौगत रॉय ने इसका विरोध किया। हालांकि, ध्वनिमत से विधेयक को पुर:स्थापित कर दिया गया।
मनीष तिवारी ने क्या कहा?
इससे पहले विधेयक पुर:स्थापित किये जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक में राज्य सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को समवर्ती सूची में संशोधन करके उचित प्रविष्टि करनी चाहिए ताकि आपदा का विषय समुचित तरीके से समाविष्ट हो। तिवारी ने आपदा प्रबंधन के संदर्भ में विधायी अधिकारों को ठीक तरह से परिभाषित करने की भी जरूरत बताई। उन्होंने विधेयक में राज्य सरकारों को नगर निकायों को आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ बनाने की अनुमति देने संबंधी एक प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली और चंडीगढ़ को इससे अलग रखा गया है। तिवारी ने कहा, ‘‘सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’
सौगत रॉय की आपत्ति
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि विधेयक के अनुसार आपदा प्रबंधन के लिए कई सारे प्राधिकार बनने से विरोधाभास की स्थिति बढ़ेगी। नित्यानंद राय ने कहा कि आपदा प्रबंधन समुचित तरीके से हो, इसलिए अधिक निकाय बनाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अनेक आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों के परामर्श और सुझावों पर विचार करते हुए और उनकी चिंताओं को दूर करते हुए यह विधेयक लाया गया है। सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पुर:स्थापित करने की मंजूरी दे दी।