उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में बीजेपी ने लोहा मनवाया है. प्रदेश में मेयर की सभी 17 सीटें बीजेपी के खाते में आई हैं. विपक्षी समाजवादी पार्टी और बसपा कहीं भी मेयर नहीं बनवा पाई हैं. वहीं नगर पालिका की 199 सीटों में से 99 सीटों पर बीजेपी गठबंधन के प्रत्याशी जीते हैं. सपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने 37 सीटों पर फतह पाई है. जबकि कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत से संतोष करना पड़ा. बसपा को 19 और अन्य को 40 सीटें मिली हैं. बात करें नगर पंचायत की 544 सीटों की तो बीजेपी गठबंधन को यहां 196 सीटें मिली हैं. वहीं सपा गठबंधन को 81, कांग्रेस को 7, बसपा को 40 और अन्य के खाते में 172 सीटें गई हैं.
लेकिन पिछले महीने यूपी का एक शहर खासा चर्चा में रहा. ये शहर है प्रयागराज, जहां 15 अप्रैल 2023 को गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या कर दी गई थी. इस नगर निगम में बीजेपी ने कैसा प्रदर्शन किया है. आइए आपको बताते हैं.
प्रयागराज नगर निगम में पहले से काबिज बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है. मेयर प्रत्याशी उमेश चंद्र गणेश केसरवानी ने जीत हासिल की है. 100 सीटों वाले इस सदन में बीजेपी के 52 पार्षद प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. चुनाव अधिकारी हर्षदेव पांडेय के मुताबिक, मेयर पद के लिए बीजेपी कैंडिडेट उमेश चंद्र गणेश केसरवानी को अब तक कुल 2,05,801 वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिदंद्वी सपा के अजय कुमार श्रीवास्तव को 93,542 वोट.
यूपी निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रयागराज नगर निगम के विजयी पार्षद प्रत्याशियों की सूची के मुताबिक 52 सीटें बीजेपी के खाते में आई हैं. जबकि 17 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीती हैं. वहीं 16 सीटों पर सपा, 4 सीटों पर कांग्रेस, 2 सीटों पर बसपा, 2 सीटों पर एआईएमआईएम और एक सीट पर निषाद पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. इस तरह से प्रयागराज नगर निगम के सदन में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ काम कर सकेगी.
बात अगर अतीक के वार्ड की करें तो वहां सपा का उम्मीदवार जीता है और बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा है. प्रयागराज नगर निगम के वॉर्ड 44 चकिया पर सपा की जहां आरा 2057 वोटों से जीती हैं. इसी वॉर्ड में अतीक अहमद का घर पड़ता है. जो भी इलाके अतीक के प्रभाव में आते हैं, वहां बीजेपी पीछे और सपा आगे चल रही है.
बता दें कि प्रयागराज नगर निगम में 15,69,774 वोटर्स हैं, जिसमें से महज 4 लाख 94 हजार 471 लोगों ने ही वोट डाला था. यानी कुल 31.45 प्रतिशत ही वोटिंग हुई. 2017 में भी प्रयागराज सबसे कम वोटिंग के मामले में निचले पायदान पर था.