प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (19 मई) को तीन देशों (जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया) की छह दिवसीय यात्रा के लिए रवाना होने से पहले भारत-चीन सीमा विवाद और पाकिस्तान से बातचीत को लेकर अपने एक इंटरव्यू में अहम बयान दिया.
चीन के साथ सीमा विवाद पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है. निक्केई एशिया को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा, ”चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन जरूरी है.” उन्होंने कहा, ”भविष्य में भारत-चीन संबंध का विकास केवल परस्पर सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हितों पर आधारित हो सकता है. पीएम ने कहा कि संबंधों को सामान्य करने से व्यापक इलाके और दुनिया को फायदा होगा.
वहीं, पाकिस्तान के साथ बातचीत के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत उससे सामान्य और पड़ोसी वाले संबंध चाहता है. हालांकि, आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त एक अनुकूल माहौल बनाना उसके लिए जरूरी है. इस संबंध में कदम उठाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में क्या भारत मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है? यह पूछे जाने पर पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन विवाद पर भारत की स्थिति स्पष्ट और अटल है. पीएम मोदी ने कहा, ” भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और अपने रुख पर मजबूती से बना रहेगा. हम उन लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है जो बुनियादी जरूरतों, खासकर भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के चलते चुनौतियों का सामना करते हैं. रूस और यूक्रेन दोनों के साथ हम संपर्क बनाए रखते हैं.” पीएम मोदी ने कहा, ”सहयोग और सहभागिता को हमारे समय को परिभाषित करना चाहिए, संघर्ष को नहीं.”
पीएम मोदी ने हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ देशों की आवाज और चिंताओं को उठाने की बात कही जैसा कि वह व्यापक जी-20 की मेजबानी करते हुए तालमेल को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि उर्जा, डिजिटल टेक्नोलॉजी और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में वैश्विक परिवर्तनों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं. पीएम मोदी ने कहा, ”मैं इन चुनौतियों से निपटने में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका पर जोर दूंगा.”
भारत जी-7 समूह का सदस्य नहीं है लेकिन इसकी मेजबानी कर रहे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया. किशिदा ने बार-बार ग्लोबल साउथ या विकाशील जगत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए अपना दृढ़ संकल्प जाहिर किया है. पीएम मोदी ने कहा कि जापान और भारत के लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्य स्वाभाविक रूप से दोनों को करीब लाए हैं.