अहमदाबाद विमान हादसे के भयावह मंजर के बीच, विश्वास रमेश कुमार की जीवित बच निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस दर्दनाक हादसे में जहां 241 लोगों की मौत हो गई, वहीं एकमात्र बचे व्यक्ति—40 वर्षीय भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वास—ने जो अनुभव साझा किया, वह दिल को झकझोर देने वाला है।
हादसे का मंजर: 35 सेकेंड में सब कुछ खत्म
गुरुवार को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी। टेकऑफ के सिर्फ 35 सेकेंड बाद यह विमान क्रैश हो गया। फ्लाइट में 242 लोग सवार थे—230 यात्री और 12 क्रू सदस्य। एयर इंडिया के अनुसार, 241 लोगों की मौत हो चुकी है।
‘जाको राखे साईंया’ – विश्वास का चमत्कारी बचाव
विश्वास ने बताया,
“उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद तेज़ आवाज आई। सभी घबरा गए। चिल्लाने की आवाज़ें थीं। फिर अचानक सबकुछ खत्म हो गया।”
वह फ्लाइट की सीट 11A पर बैठे थे। उन्होंने कहा कि टेकऑफ के 5–10 सेकेंड में ही उन्हें लगा कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने तुरंत सीट बेल्ट हटाई और मलबे के बीच से निकलने की कोशिश की। जिस हिस्से में वह बैठे थे, वह हॉस्टल की बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर जाकर गिरा और वहां थोड़ी जगह बची थी जिससे वह बाहर निकल पाए।
आग में झुलसे, लेकिन बच गए
जब मलबे में आग लगी, तब विश्वास का बायां हाथ जल गया, लेकिन वह चलने की हालत में थे। उन्हें देखकर मौके पर मौजूद लोग चौंक गए। एंबुलेंस से उन्हें तुरंत अहमदाबाद सिविल अस्पताल ले जाया गया।
बोर्डिंग पास भी सुरक्षित
विश्वास का बोर्डिंग पास हादसे के बाद भी पूरी तरह सुरक्षित मिला, जिसे वह अस्पताल में भी अपने पास रखे हुए थे।
पीएम मोदी ने अस्पताल जाकर पूछा हाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सीधे अहमदाबाद सिविल अस्पताल पहुंचे और विश्वास से मुलाकात की। उन्होंने उनका हाथ पकड़ा और ढांढस बंधाया। विश्वास ने बताया कि प्रधानमंत्री ने पूरी संवेदनशीलता से हाल पूछा और भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
विश्वास रमेश कुमार दो दशकों से लंदन में रह रहे हैं। हाल ही में वह अपने भाई अशोक के साथ भारत आए थे और दमन और दीव घूमने गए थे। वापसी में वे लंदन जाने के लिए इसी फ्लाइट में सवार हुए थे।
यह हादसा और विश्वास की कहानी हमें याद दिलाती है:
- जीवन और मृत्यु का अंतर पलभर में तय हो सकता है।
- कभी-कभी परिस्थितियों और मौके की भूमिका किस्मत से भी बड़ी हो जाती है।
- और सबसे अहम—जिंदगी जब दोबारा मिलती है, तो वह सिर्फ एक अवसर नहीं, एक जिम्मेदारी बन जाती है।