मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने उनका जीवन बर्बाद किया है। साध्वी प्रज्ञा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि ATS (Anti-Terrorism Squad) द्वारा की गई ज्यादतियों के कारण उनके ब्रेन में सूजन आ गई है, और इसके चलते उन्हें आँखों से देख पाने और कानों से सुनने में कठिनाई हो रही है।
उन्होंने लिखा, “कॉन्ग्रेस का टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्युदायी कष्ट का कारण बन गया है। ब्रेन में सूजन, आँखों से कम दिखना, कानों से कम सुनाई देना, बोलने में असंतुलन, स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन। एक हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है। जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाऊँगी।”
इस पोस्ट के साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उपचार मिल रहा है, लेकिन वह भविष्य में कानूनी कार्रवाई करने का इरादा रखती हैं। तस्वीर में साध्वी प्रज्ञा का चेहरा सूजा हुआ और उनकी शारीरिक स्थिति बेहद खराब नजर आ रही है।
यह बयान साध्वी प्रज्ञा के लंबे समय से चल रहे मामले से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्हें 2008 मालेगांव धमाके में आरोपी बनाया गया था। 2019 में वे मालेगांव धमाके के मामले में जमानत पर रिहा हुई थीं।
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— Sadhvi Pragya Singh Thakur (@sadhvipragyag) November 6, 2024
साध्वी प्रज्ञा 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी हैं, जिसमें 6 लोगों की मौत और कई अन्य घायल हुए थे। साध्वी प्रज्ञा ने कई बार अपने साथ हुई अमानवीय प्रताड़ना के बारे में बयान दिए हैं। उनका आरोप है कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की मौजूदगी में 3-4 पुलिसकर्मियों ने उन्हें अत्यधिक प्रताड़ित किया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें बेल्ट से पीटा गया, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और वे वेंटिलेटर पर चली गईं।
यह घटना 2008 मालेगांव धमाका के संदर्भ में हुई थी, जब साध्वी प्रज्ञा को आतंकवाद से संबंधित आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने रिपब्लिक टीवी के साथ 2020 में दिए एक साक्षात्कार में यह आरोप लगाया था कि इस प्रताड़ना का असर उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर पड़ा, जिसके कारण उन्हें लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ी।
इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की अदालत ने कहा है कि साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रहते हुए भी अदालत में पेश होना जरूरी है, क्योंकि अब मामले की अंतिम सुनवाई चल रही है। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है, क्योंकि वह कई महीनों से अपनी चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए अदालत में उपस्थित नहीं हो पा रही थीं।
यह मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है, और साध्वी प्रज्ञा ने कई बार आरोप लगाया है कि उनके साथ हुई प्रताड़ना ने उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने 2008 मालेगाँव धमाकों के मामले में अपनी गिरफ्तारी और पुलिस हिरासत में होने वाले कथित अमानवीय व्यवहार का विवरण देते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कॉन्ग्रेस ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा और उनके साथ अत्याचार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में रहते हुए उन्हें चमड़े की बेल्ट से पीटा गया, बिजली के झटके दिए गए, और 24 दिनों तक भूखा रखा गया। इसके अलावा, उन्हें पोर्न वीडियो दिखाए गए और भद्दे सवाल पूछे गए। साध्वी प्रज्ञा के अनुसार, यह सब पुलिस की ओर से किया गया था, और उनके साथ यह दुर्व्यवहार केवल ध्रुवीकरण की राजनीति के तहत किया गया था, जिसका नेतृत्व तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम कर रहे थे।
उन्होंने यह भी बताया कि हिरासत के दौरान उनकी तबियत बिगड़ी, और इसके परिणामस्वरूप उन्हें कैंसर और न्यूरो समस्याएँ हो गईं। उनके शरीर में पस तक पड़ गया और उनकी हालत गंभीर हो गई। साध्वी प्रज्ञा ने यह भी कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने का उद्देश्य भारत को आतंकवादी देश घोषित करना और उनका नाम भगवा आतंकवाद से जोड़ना था।
साध्वी ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें धर्म विशेष के आरोपी के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे उनका जीवन बर्बाद करने की कोशिश की गई। उन्होंने कोर्ट में कहा कि वह स्वस्थ थीं जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन हिरासत में उनकी हालत बिगड़ी।
मालेगाँव धमाके में 9 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे, और आरोप था कि यह धमाके एक मोटरसाइकिल में बम लगा कर किए गए थे। हालांकि, NIA द्वारा दाखिल 2016 की चार्जशीट में उनका नाम नहीं था और उन्हें जमानत मिल गई थी। साध्वी प्रज्ञा ने यह भी कहा कि उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया और यह आरोप केवल राजनीतिक कारणों से लगाए गए थे।