भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में जिस तरह से “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया, वह रणनीतिक, सटीक और कूटनीतिक रूप से परिपक्व कार्रवाई थी।
ऑपरेशन सिंदूर: निर्णायक जवाब
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दिनांक: 6-7 मई की रात
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स्थान: पाकिस्तान और POK में मुजफ्फराबाद, कोटली, बहावलपुर आदि
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लक्ष्य:
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लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के
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भर्ती केंद्र
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ट्रेनिंग कैंप
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हथियार डिपो
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परिणाम:
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100+ आतंकियों के मारे जाने की सूचना
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मसूद अजहर और हाफिज सईद के नेटवर्क को भारी नुकसान
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आतंकियों के परिवार और सहयोगी भी लक्ष्य बने
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डोभाल की डिप्लोमेसी: रणनीतिक संतुलन
NSA अजीत डोभाल ने इस कार्रवाई के तुरंत बाद वैश्विक स्तर पर डिप्लोमैटिक आउटरीच शुरू की:
जिन देशों से संवाद किया गया:
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अमेरिका (मार्को रुबियो)
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ब्रिटेन
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चीन (वांग यी)
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रूस
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फ्रांस
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सऊदी अरब, UAE, जापान
डोभाल का मुख्य संदेश:
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भारत युद्ध नहीं चाहता
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कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों पर केंद्रित थी
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कोई पाकिस्तानी नागरिक या सेना निशाने पर नहीं थी
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उद्देश्य: भविष्य के हमलों को रोकना, न कि तनाव बढ़ाना
भारत की छवि: जवाबदेह और संतुलित शक्ति
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया:
“यह सटीक, जिम्मेदार और गैर-उग्रवादी जवाब था। हम आतंकवाद के ढांचे को खत्म करना चाहते हैं, न कि क्षेत्रीय युद्ध छेड़ना।”
चीन का बदला हुआ रुख – एक महत्वपूर्ण संकेत
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चीन ने पाकिस्तान को संयम बरतने की सलाह दी, जो असामान्य है।
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आमतौर पर चीन खुलकर पाकिस्तान का पक्ष लेता है, लेकिन इस बार वह तटस्थ मुद्रा में दिखा।
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यह इस बात का संकेत है कि भारत की कार्रवाई वैध और कूटनीतिक रूप से मजबूती से पेश की गई थी।
निष्कर्ष: भारत का नया रक्षा सिद्धांत
भारत अब केवल सहनशीलता की नीति पर नहीं, बल्कि रोकथाम और प्रतिकार की नीति पर चल रहा है:
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खुफिया इनपुट के आधार पर Proactive Action
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कूटनीतिक मोर्चे पर Global Legitimacy Build-up
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पड़ोसियों को स्पष्ट संदेश: “आतंक का जवाब अब ठोस और निर्णायक होगा”