गुजरात में पिछले काफी समय से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद चल रहा है. इसी बीच राजकोट के पुराने दाणापीठ इलाके में तीन दुकानों के ताले तोड़कर सामान बाहर फेंक दिया गया. दुकानों को खाली कराने के लिए वक्फ बोर्ड के आदेश पत्र पेश किया गया था. हालांकि ये दुकानें सालों से किराए पर थीं और अचानक खाली कराए जाने से व्यापारियों में गुस्सा देखा गया. मामले के तूल पकड़ने से पहले पुलिस मौके पर पहुंच गई और दुकानों के ताले तोड़ने और सामान बाहर फेंकने वाले लोगों के खिलाफ ए डिवीजन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई.
राजकोट के पुराने दाणापीठ इलाके की मस्जिद में मौजूद और वर्षों से किराए पर चल रही दुकानों को खाली कराने के लिए फारूक भाई मुसानी समेत 5 लोग पहुंचे. उन्होंने तीन दुकानों के ताले तोड़कर सामान सड़क पर फेंक दिया. दुकानदारों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई. फारूकभाई ने वक्फ बोर्ड का आदेश दिखाया और किराएदारों पर दुकान का किराया न देने और खाली न करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि दुकानें जर्जर हो चुकी हैं, इसलिए वक्फ बोर्ड के आदेश के अनुसार इन्हें खाली कराया गया.
पुलिस की शिकायत के मुताबिक करीब 60 साल पहले तीन हिंदू व्यापारियों को दुकानें किराए पर दी गई थीं. बुधवार को लोगों के एक ग्रुप ने दुकानों के ताले तोड़ दिए और सामान बाहर फेंक दिया. उनका दावा था कि दुकानें गुजरात वक्फ बोर्ड की हैं. पूछताछ करने पर लोगों ने 19 दिसंबर 2024 की तारीख वाले गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड के लेटरहेड वाले दस्तावेज दिखाए, जिसमें बेदखली की मंजूरी दी गई थी. पत्र में कहा गया है कि दुकानदारों ने जरूरी मंजूरी लिए बिना गैर कानूनी तौर पर अपनी किरायेदारी अपने वंशजों को ट्रांसफर कर दी.
वक्फ बोर्ड ने नहीं किया कानून का पालन?
दुकानों के ट्रस्टी गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड ने तत्काल कब्जे के लिए 15 साल के बकाया कर और बिजली बिल का हवाला दिया. शिकायत में इस बात का भी जिक्र किया गया कि वक्फ बोर्ड के पत्र में दुकानों को कानूनी तरीके से वापस लेने की प्रक्रिया बताई गई थी. इसमें किराएदारों को तीन कानूनी नोटिस देना, किराएदारों से बात करना, नया किराया समझौता करना, नोटिस के बारे में पुलिस को सूचित करना और फिर कानूनी कार्रवाई करना शामिल था. हालांकि शिकायत में जिक्र किया गया है कि इन कदमों का पालन नहीं किया गया.
‘मस्जिद को भी पहुंच रहा नुकसान’
इस घटना के बारे में बात करते हुए बेदखली में शामिल फारूक मसानी ने कहा,’गुजरात वक्फ बोर्ड का आदेश मिलने के बाद हमने दुकानों को अपने कब्जे में ले लिया है. दुकानें सालों से बंद हैं और बेहद खस्ता हालत में हैं. मस्जिद को भी नुकसान पहुंच रहा है. हमें जो आदेश मिला है, हमने उसका पालन किया है.’
क्या बोले स्थानीय विधायक
स्थानीय भाजपा विधायक दर्शिता शाह ने इस मुद्दे को लेकर राजकोट पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की और ‘अवैध तरीके’ से दुकानदारों को बेदखल करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. शाह ने कहा,’मैंने घटना के बाद कमिश्नर से मुलाकात की. उनसे जांच शुरू करने और यह यकीनी बनाने को कहा कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो. वक्फ बोर्ड के पत्र में दुकानों को खाली कराने के लिए एक सुव्यवस्थित तरीका बताया गया है, जिसका पालन नहीं किया गया. दुकानों को खाली कराना गैरकानूनी था. मैंने कमिश्नर से इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.’