संभल में लगातार तीर्थ और कुएँ मिलने का सिलसिला जारी है। संभल के ही एक मुहल्ले में अब तक का सबसे बड़ा कुआँ हाल ही में मिला है। प्रशासन ने इसकी खुदाई करवाई है। एक और ऐतिहासिक स्थल पर राम दरबार वाले सिक्के तथा पुराने बर्तन भी मिले हैं। प्रशासन संभल के 87 तीर्थ में से 41 को ढूँढने में सफल रहा है। उसने प्राचीन सभी 19 कुएँ भी ढूँढ लिए हैं।
संभल के सरायतरीन में अब तक सबसे बड़ा कुआँ मिला है। यह कुआँ जामा मस्जिद से 50 मीटर ही दूर स्थित है। इसे स्थानीय लोगों ने पाट दिया था। यह जिस मोहल्ले में स्थित है, उसे दरबार कहते हैं। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि यहाँ टोंक के नवाब का दरबार लगता था।
इस कुएँ का निरीक्षण डीएम-एसडीएम ने किया था। इसके बाद प्रशासन ने इस पर खुदाई चालू कर दी। कुएँ को पूरा खोदने के बाद यह अच्छी अवस्था मिला है। डीएम ने कहा है कि यह दर्शनीय है। यह कुआँ लगभग 70 फीट गहरा है।
यह उन्हीं 19 कुओं का हिस्सा है, जो संभल में स्थित हैं। लोगों ने यह शिकायत की थी कि इस कुएँ को दबंगों ने पाटा था और इस पर होने वाली पूजा भी रुक गई थी। हालाँकि, अब इसका पुराना स्वरुप लौटा दिया गया है। इसका निरीक्षण ASI की एक टीम ने भी किया है।
संभल के एक और इलाके में पुराने समय के सिक्के और बर्तन भी मिले हैं। यह सभी सिक्के अमरपति खेड़ा की समाधि के पास मिली है। अमरपति खेड़ा सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। वह आल्हा ऊदल के गुरु भी बताए जाते हैं। उनकी समाधि के पास पहले भी खुदाई में कई सिक्के वगैरह मिलते रहे हैं।
इन सिक्कों को प्रशासन ने अपने संरक्षण में ले लिया है। सिक्कों की संख्या 300-400 है। इन पर भगवान राम और माता सीता की आकृति उकेरी है। इन पर लक्ष्मण की आकृति भी उकेरी है। इसके अलावा कुछ और भी डिजाइन वाले सिक्के सामने आए हैं। इनकी धातु क्या है, यह स्पष्ट नहीं हुआ है।
संभल में प्रशासन के प्रयास से 87 तीर्थ में से 41 तीर्थ ढूंढ निकाले गए हैं। इसके अलावा सभी 19 कूप भी ढूंढ कर खोदे गए हैं। इन सभ तीर्थों और कूपों के जीर्णोद्धार का काम भी चल रहा है। कई ऐसी जगह हैं, जहाँ ASI ने सर्वे किया है।