क्या है भारत का ‘वॉटर स्ट्राइक’ (Water Strike)?
भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित कर पाकिस्तान को पानी के मोर्चे पर घेरना शुरू किया है। यह कदम पाकिस्तान से हो रहे आतंकवाद और LOC पर तनाव के जवाब में लिया गया है।
सिंधु जल संधि क्या है?
- 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक समझौता, जिसमें विश्व बैंक भी शामिल था।
- भारत को पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलज) पूरी तरह दी गईं।
- पाकिस्तान को पश्चिमी नदियाँ (झेलम, चिनाब, सिंधु) का ज़्यादातर पानी मिला।
- भारत को इन पश्चिमी नदियों पर सीमित इस्तेमाल (जैसे सिंचाई, बिजली उत्पादन) की अनुमति थी।
अब भारत ने:
- संधि को सस्पेंड किया।
- पाकिस्तान को पानी से जुड़े डेटा की आपूर्ति बंद कर दी।
पाकिस्तान में क्या हो रहा है?
पानी की भारी कमी:
- IRSA (Indus River System Authority) के मुताबिक,
- 2025 में सिंधु जल की कमी 21% तक पहुंच गई है।
- पंजाब प्रांत में पानी 10.30% कम हो गया है पिछले साल की तुलना में।
- केवल 1,28,800 क्यूसेक पानी उपलब्ध, जबकि पहले 1,43,600 क्यूसेक था।
असर खरीफ फसलों पर:
- मई-सितंबर का समय खरीफ फसल का सीजन होता है।
- पानी की भारी कमी से:
- धान, मक्का, गन्ना जैसी फसलों पर असर।
- बिजली उत्पादन में गिरावट (पानी से चलने वाले पनबिजली संयंत्र सूख रहे हैं)।
डैम भी सूखने लगे:
- मंगला डैम (झेलम पर)
- तरबेला डैम (सिंधु पर)
इन दोनों में जल स्तर तेजी से गिर रहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
- PM शहबाज़ शरीफ ने ताजिकिस्तान में कहा:
“भारत ने सिंधु जल संधि को एकतरफा और अवैध रूप से सस्पेंड किया, जो बेहद चिंताजनक है।”
- भारत का जवाब:
भारत ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देकर संधि की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है। जल संधि का फायदा लेकर वह हमारे खिलाफ हिंसा फैलाने की नीति पर चल रहा है।
पाकिस्तान को क्या-क्या भुगतना पड़ेगा?
असर | विवरण |
---|---|
कृषि संकट | खरीफ की फसलें बर्बाद होंगी |
बिजली की कमी | हाइड्रोपावर उत्पादन घटेगा |
पेयजल संकट | सिंध और पंजाब जैसे इलाकों में हाहाकार |
किसान परेशान | फसलें न होने से रोजगार और भोजन की समस्या |
निष्कर्ष: भारत का ‘जल प्रहार’ कितना कारगर?
- भारत ने बिना गोली चलाए, पानी को हथियार बनाकर पाकिस्तान की कमर तोड़ने की रणनीति अपनाई है।
- जवाबी कूटनीतिक हथियार के रूप में सिंधु जल संधि का निलंबन एक सख्त संदेश है – “आतंक बंद करो, वरना पानी भी नहीं मिलेगा।”