भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की बांध निर्माण योजना और उससे जुड़े सुरक्षा व कूटनीतिक पहलुओं को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की सतर्कता पर जोर दिया है, जबकि विपक्षी नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भारत की सुरक्षा नीति पर सवाल उठाए हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:
- चीन की बांध योजना पर सतर्कता:
- राजनाथ सिंह ने आश्वासन दिया कि सरकार चीन की योजना पर नजर रख रही है और भारत के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
- भारत ने बीजिंग से आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले बहाव वाले इलाकों के हितों को नुकसान न पहुंचे।
- भारत की वैश्विक स्थिति:
- राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब एक सशक्त और सम्मानित देश है। जब भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलता है, तो दुनिया ध्यान देती है।
- उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति का भी उल्लेख किया, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था अब पांचवें स्थान पर है और जल्द ही शीर्ष तीन में आने की संभावना है।
ओवैसी का आलोचनात्मक रुख:
- चीन नीति पर सवाल:
- असदुद्दीन ओवैसी ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
- उन्होंने पूछा कि क्या गलवान, हॉट स्प्रिंग, गोगरा, पैंगोंग, और कैलाश रेंज में भारतीय सैनिकों के गश्त के अधिकार बहाल करने की कोई योजना है।
- आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का प्रबंधन:
- ओवैसी ने आरोप लगाया कि भारत की आंतरिक सुरक्षा (विशेषकर मणिपुर और पूर्वोत्तर राज्यों में) और बाहरी सुरक्षा दोनों कुप्रबंधन का शिकार हैं।
- उन्होंने सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की।
ब्रह्मपुत्र पर चीन का बांध:
चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्संगपो) पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना की घोषणा की है। इससे जुड़ी चिंताएं:
- नदी का जल प्रवाह प्रभावित:
- भारत और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र पर निर्भर करोड़ों लोगों की आजीविका पर असर पड़ सकता है।
- बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं की आशंका।
- स्ट्रैटेजिक चिंता:
- चीन द्वारा जल संसाधनों का उपयोग भू-राजनीतिक दबाव के तौर पर किया जा सकता है।
- भारत का रुख:
- भारत ने ब्रह्मपुत्र के जल संसाधन के उपयोग के लिए त्रिपक्षीय वार्ता (भारत, चीन, बांग्लादेश) पर जोर दिया है।
चीन की यह बांध योजना भारत के लिए केवल पर्यावरणीय या जल प्रबंधन की समस्या नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक और कूटनीतिक चुनौती भी है।
- सरकार की सतर्कता और प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है।
- साथ ही, विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल ध्यान खींचते हैं, जो इस मुद्दे को व्यापक सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
भारत को कूटनीति, जल प्रबंधन और क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से इस चुनौती का सामना करना होगा।