भारतीय नौसेना 18 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर छूने जा रही है, जब वह अपने नवीनतम युद्धपोत INS अर्णाला को आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल करेगी। यह समारोह विशाखापत्तनम के प्रतिष्ठित नेवल डॉकयार्ड में आयोजित किया जाएगा, जिसमें भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। INS अर्णाला को विशेष रूप से पनडुब्बी रोधी युद्ध अभियानों (Anti-Submarine Warfare – ASW) के लिए डिजाइन किया गया है और यह शैलो वॉटर क्राफ्ट (shallow water craft) श्रेणी का पहला जहाज है, जो उथले समुद्री क्षेत्रों में भी कुशलतापूर्वक ऑपरेशन कर सकता है।
INS अर्णाला भारत के आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है। इसका निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने एलएंडटी शिपबिल्डर्स के सहयोग से किया है। इसमें प्रयुक्त तकनीकी उपकरणों और सिस्टम का 80% से अधिक हिस्सा स्वदेशी है, जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), महिंद्रा डिफेंस, एलएंडटी, MEIL और अन्य प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों ने विकसित किया है। इसके अलावा, इस परियोजना ने 55 से अधिक भारतीय MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को भी आर्थिक और तकनीकी लाभ पहुँचाया है, जिससे यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों का प्रतीक बन गया है।
इस जहाज का नामकरण भी ऐतिहासिक महत्व रखता है। “अर्णाला” नाम महाराष्ट्र के वसई के निकट स्थित अर्णाला किले से लिया गया है, जिसे मराठा योद्धा चिमाजी आप्पा ने 1737 में बनवाया था। यह किला दुश्मनों से दृढ़ता से लड़ने के लिए जाना जाता था, और उसी वीरता की भावना को यह युद्धपोत भी आगे बढ़ाएगा, जब वह समंदर में भारत की सुरक्षा के लिए तैनात रहेगा।
तकनीकी दृष्टि से देखा जाए तो INS अर्णाला एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसकी लंबाई 77 मीटर और वजन लगभग 1,490 टन है। यह डीजल इंजन और वॉटरजेट प्रोपल्शन सिस्टम से सुसज्जित है, जिससे इसे उच्च गतिशीलता और तटीय क्षेत्रों में उत्कृष्ट संचालन क्षमता मिलती है। यह युद्धपोत न केवल पनडुब्बियों की पहचान और उनका पीछा करने में सक्षम है, बल्कि इसे सर्च एंड रेस्क्यू मिशन, निगरानी अभियान और कम तीव्रता वाले समुद्री ऑपरेशनों के लिए भी डिज़ाइन किया गया है। इसकी तैनाती से भारतीय नौसेना की तटीय सुरक्षा को जबरदस्त मज़बूती मिलेगी और यह भारत की समुद्री रणनीतिक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
INS अर्णाला का शिप क्रेस्ट (प्रतीक चिन्ह) भी इसकी पहचान को और गहराई देता है। इस प्रतीक में एक ऑगर शेल (घोंघे जैसी संरचना) को नीले रंग की पृष्ठभूमि पर दर्शाया गया है, जिसके नीचे देवनागरी लिपि में ‘अर्णाला’ अंकित है। ऑगर शेल अपनी मजबूत, घुमावदार और सुरक्षात्मक संरचना के लिए जाना जाता है, जो दर्शाता है कि यह युद्धपोत भी उतना ही मजबूत, लचीला और किसी भी समुद्री खतरे से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
INS अर्णाला का कमीशनिंग न केवल एक नई तकनीकी क्षमता का परिचायक है, बल्कि यह भारतीय नौसेना के उस भविष्य की ओर भी संकेत करता है, जिसमें भारत न केवल समुद्री सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि समुद्री प्रभुत्व भी स्थापित करेगा – और वह भी पूर्णतः स्वदेशी शक्ति के आधार पर।