भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार है। आज रात श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स) मिशन की लॉन्चिंग होने जा रही है। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने (डॉकिंग) और अलग करने (अनडॉकिंग) की जटिल तकनीक का प्रदर्शन करना है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों—अमेरिका, रूस, और चीन—की सूची में शामिल हो जाएगा, जो इस तकनीक में महारत रखते हैं।
🎉 Launch Day is Here! 🚀
Tonight at precisely 10:00:15 PM, PSLV-C60 with SpaDeX and innovative payloads are set for liftoff.
SpaDeX (Space Docking Experiment) is a pioneering mission to establish India's capability in orbital docking, a key technology for future human… pic.twitter.com/147ywcLP0f
— ISRO (@isro) December 30, 2024
स्पाडेक्स मिशन की खास बातें:
- मिशन की लॉन्चिंग:
- समय: आज रात 9:58 बजे
- स्थान: श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश
- रॉकेट: पीएसएलवी-सी60
- पेलोड: दो उपग्रह
- मिशन का उद्देश्य:
- अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का परीक्षण।
- भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण के लिए आधार तैयार करना।
- भारत की अंतरिक्ष तकनीकी क्षमता को बढ़ाना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना।
- तकनीकी महत्व:
- यह मिशन इसरो के लिए एक नई उपलब्धि होगी क्योंकि स्पेस डॉकिंग तकनीक का उपयोग भविष्य में अंतरिक्ष में मानव मिशन, पुन: ईंधन भरने वाले उपग्रह, और अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण में होगा।
- यह तकनीक गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए भी आवश्यक है।
- वैश्विक भूमिका:
- स्पाडेक्स मिशन के बाद, भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।
- इससे भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसरों में वृद्धि होगी।
स्पाडेक्स का महत्व:
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से: यह मिशन अंतरिक्ष में स्वायत्त संचालन, सटीकता, और नेविगेशन तकनीकों का प्रदर्शन करेगा।
- रणनीतिक दृष्टिकोण से: यह तकनीक अंतरिक्ष में दीर्घकालिक उपस्थिति सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायता के लिए महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक दृष्टिकोण से: स्पाडेक्स जैसी परियोजनाएँ अंतरराष्ट्रीय स्पेस मिशन में भारत को एक वांछित साझेदार बनाएंगी।
इसरो का 2024 में आखिरी मिशन:
स्पाडेक्स 2024 का अंतिम इसरो मिशन है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह एक बड़ी छलांग साबित होगा। मिशन की सफलता से भारत को न केवल नई अंतरिक्ष तकनीक विकसित करने का अनुभव मिलेगा, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में अन्य देशों के साथ सहयोग के नए रास्ते भी खुलेंगे।
इसरो और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो देश की तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
📅 T-1 Day to Liftoff!
🚀 PSLV-C60 is ready to launch SpaDeX and 24 innovative payloads into orbit.
🕘 Liftoff: 30 Dec, 9:58 PM (21:58 hours)
🎥 Watch live: https://t.co/D1T5YDD2OT
(from 21:30 hours)
📖 More info: https://t.co/jQEnGi3W2d#ISRO #SpaDeX 🚀
— ISRO (@isro) December 29, 2024
स्पाडेक्स मिशन से जुड़ी खास बातें…
- अंतरिक्ष में स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट
- रूस, अमेरिका, चीन के साथ एलीट क्लब में भारत
- पीएसएलवी-सी 60 रॉकेट से लॉन्चिंग
- 62वें प्रक्षेपण के लिए PSLV का वजन 229 टन
- परीक्षण करने के लिए दो छोटे उपग्रह लॉन्च होंगे
- अंतरिक्ष में दोनों उपग्रहों का मिलन
- स्पेस डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया
- कोई भी देश डॉकिंग तकनीक साझा नहीं करता
- पूरी तरह से स्वदेशी डॉकिंग तकनीक का उपयोग
- चंद्रयान- 4 के लिए मददगार होगी तकनीक
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है, जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है. इस मिशन में सफलता मिलने पर भारत अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर होगा. इसरो के मुताबिक, स्पाडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा.