“ऑपरेशन पुश-बैक” और उससे संबंधित घटनाओं की गंभीरता को स्पष्ट करता है। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा, अवैध घुसपैठ, और मानवाधिकारों—तीनों से जुड़ा है, और इसी कारण यह भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक, सामाजिक, और मीडिया विमर्श में महत्वपूर्ण स्थान ले रहा है।
क्या है ‘ऑपरेशन पुश-बैक’?
ऑपरेशन पुश-बैक भारत सरकार की वह रणनीति है, जिसका उद्देश्य अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के सीधे सीमा पार वापस भेजना है।
उद्देश्य:
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अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें तेजी से निष्कासित करना
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न्यायिक और कानूनी प्रक्रिया में लगने वाले समय और संसाधनों को बचाना
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राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसंख्या असंतुलन पर नियंत्रण पाना
मुख्य रूप से प्रभावित राज्य:
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पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम
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दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और जम्मू में भी कार्रवाई तेज
कितने लोगों को भेजा गया वापस (7 मई तक)
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक:
जिला (बांग्लादेश) | लौटाए गए घुसपैठिए |
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मौलवीबाजार | 331 |
सिलहट | 103 |
खगराछारी | 111 |
कुरीग्राम | 84 |
फेनी | 39 |
चपैनवाबगंज | 17 |
सतखीरा | 23 |
अन्य जिलों में कुल | 345+ |
कुल | 1053 |
विवाद: मानवाधिकार बनाम राष्ट्रीय हित
भारत सरकार और सेना का पक्ष:
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अवैध रूप से रह रहे लोग फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, वोटर ID बनवा लेते हैं
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ये देश की सुरक्षा और डेमोग्राफिक प्रोफाइल के लिए खतरा हैं
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इनमें से कई आतंकी लिंक, मादक पदार्थों की तस्करी, जालसाजी से जुड़े पाए गए हैं
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संसाधनों पर भार बढ़ता है – खासकर गरीब राज्यों पर
समर्थकों की आपत्ति:
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इन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत भेजना चाहिए
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महिलाओं और बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार न हो
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कथित “फेनी नदी में फेंकने” जैसी घटनाएं अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं
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बांग्लादेश बार-बार विरोध जता चुका है, जिससे द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव आ सकता है
प्रमुख उदाहरण: सेलिना बेगम की घटना
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हरियाणा में मजदूरी कर रही थीं, जहाँ से सेना ने हिरासत में लिया
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त्रिपुरा सीमा से कथित तौर पर “फेनी नदी में कमर पर बोतल बाँधकर” वापस भेजा गया
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उनके साथ उनकी बच्चियाँ भी थीं, और वो पूरी रात नदी में तैरती रहीं
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बांग्लादेशी BGB ने उन्हें बचाया
डेली स्टार जैसे अख़बारों ने इसे “मानवाधिकार हनन” कहा, लेकिन भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक खंडन या पुष्टि नहीं आई है।
सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
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अवैध घुसपैठ रोकना लेकिन मानवीय दृष्टिकोण न छोड़ना
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अंतरराष्ट्रीय दबाव को संतुलित करना (मानवाधिकार बनाम सुरक्षा)
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बांग्लादेश के साथ संबंध बिगाड़े बिना कार्रवाई करना
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मीडिया प्रोपेगैंडा का सामना करना – विशेषकर वामपंथी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर
“ऑपरेशन पुश-बैक” मोदी सरकार की सख्त लेकिन तेज़ और प्रभावशाली नीति है। परंतु इसके कार्यान्वयन में यदि अत्यधिक कठोरता या अमानवीयता सामने आती है, तो यह भारत के लिए राजनयिक और छवि संबंधी चुनौती बन सकती है।