इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया. एजेंसी ने इसके लिए मजबूत अर्थव्यवस्था, निरंतर सरकारी पूंजीगत व्यय और एक नए निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय की संभावना का हवाला दिया है. रेटिंग एजेंसी ने वृद्धि अनुमान को प्रभावित करने वाले जोखिमों के रूप में वैश्विक स्तर पर अस्थिर स्थिति के अलावा, कमजोर वैश्विक वृद्धि और व्यापार को चिह्नित किया.
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, “ये सभी जोखिम चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि को 6.7 प्रतिशत तक सीमित रखेंगे. चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि सालाना 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही है. इसके चालू वित्त वर्ष की शेष दो तिमाहियों में धीमी होने की संभावना है.”
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी शेष दो तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि कुछ सुस्त पड़ने की आशंका है. केंद्रीय बैंक ने संभावना जताई है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रहेगी. पिछले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी.
इंडिया रेटिंग्स ने बयान में कहा कि उसने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के जीडीपी वृद्धि अनुमान को पूर्ववर्ती 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है.इसके पीछे भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, निरंतर सरकारी पूंजीगत व्यय, कॉरपोरेट्स/बैंकिंग क्षेत्र में घटता कर्ज, एक नए निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय चक्र की संभावना और शेष विश्व से धन प्रेषण के साथ व्यापार और सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात में निरंतर गति बनी रहने जैसे कई कारक हैं.इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि उपभोक्ता मांग व्यापक आधार वाली नहीं है. उपभोग वृद्धि के लिए वेतन वृद्धि महत्वपूर्ण है.
पक्ष और विपक्ष के फैक्टर
इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को कई फैक्टर्स से मदद मिल रही है. एजेंसी ने मजबूत अर्थव्यवस्था, सरकार का लगाातर पूंजीगत खर्च और निजी कंपनियों के पूंजीगत खर्च के नए साइकल की संभावना को अनुमान में इस बदलाव के लिए वजह बताया है. हालांकि एजेंसी ने साथ ही कुछ आशंकाएं भी व्यक्त की हैं. एजेंसी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्लोबल ग्रोथ, व्यापार के जोखिम और भू-राजनीतिक परिस्थितियों में उथल-पुथल से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.
अनुमान से बेहतर रही ग्रोथ
चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही की शुरुआत हो चुकी है. अप्रैल 2024 से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा. अभी दिसंबर 2023 में समाप्त हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं हुए हैं. उससे पहले दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के तीन महीने के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार ने तमाम अनुमानों को मात दे दी थी. दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.6 फीसदी रही थी.
ये है आरबीआई का अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मानना है कि तीसरी तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 6 फीसदी रह सकती है, जो कुछ कम होकर चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी पर आ सकती है. पूरे वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक का अनुमान 6.5 फीसदी की दर से ग्रोथ का है. भारत सरकार को भी चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. इस हिसाब से देखें तो इंड-रा का अनुमान आरबीआई के अनुमान से ज्यादा है. इससे पहले ईवाई इंडिया ने भी चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान दिया था.
वैश्विक चुनौतियों का ऐसा असर
इंडिया रेटिंग्स के प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि बाहरी चुनौतियों के चलते भारत की ग्रोथ रेट भी थोड़ी कम हो रही है. पहली तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रही थी. उसके बाद दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 7.6 फीसदी की दर से ग्रो किया. तीसरी और चौथी तिमाही में इसके और कम होने के अनुमान हैं.
इंडिया रेटिंग्स की गणना से पता चलता है कि वास्तविक मजदूरी में एक प्रतिशत की वृद्धि से वास्तविक निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में 1.12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है और इसके गुणक प्रभाव से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में 0.64 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.