केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधारों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी दृष्टिकोण को रेखांकित किया है। यह मिशन भारत की घरेलू परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को मजबूत करने, और एडवांस्ड परमाणु टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर केंद्रित है।
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और परमाणु ऊर्जा में निवेश
- सरकार ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) में अनुसंधान और विकास के लिए ₹20,000 करोड़ का प्रावधान किया है।
- 2033 तक पांच स्वदेशी SMR रिएक्टरों को चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
- यह कदम भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक नेता बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य (2047 तक)
- यह मिशन 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है।
- यह ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन और कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयासों के अनुरूप है।
- भारत को स्वच्छ और सतत ऊर्जा (Sustainable Energy) में वैश्विक लीडर बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी और नीतिगत सुधार
- परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए हैं।
- स्पेस सेक्टर की तरह ही परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को भी निजी निवेश के लिए खोला गया है, जिससे नई टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- दशकों से परमाणु उद्योग कड़े सरकारी नियमों के तहत संचालित होता था, लेकिन अब इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के तहत अधिक सहयोग और विकास के लिए खोला गया है।
भारत की ऊर्जा रणनीति के लिए गेमचेंजर कदम
- यह पहल ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Independence) की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- तकनीकी नवाचार (Technological Innovation) और ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को प्राथमिकता दी गई है।
- इन सुधारों से 2047 तक भारत को उन्नत परमाणु टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष
- ‘विकसित भारत के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन’ भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
- छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) और 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य भारत को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, टेक्नोलॉजी इनोवेशन, और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे ले जाएगा।
- निजी कंपनियों की भागीदारी से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास होगा, जिससे भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाएगा।