भारत की नई रणनीति: पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की तैयारी
क्या है मामला?
भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में डलवाने की वैश्विक कोशिशें तेज कर दी हैं। यह कदम पाकिस्तान की आतंकी संगठनों को दी जा रही पनाह और आर्थिक मदद को लेकर उठाया जा रहा है।
पाकिस्तान पर भारत के आरोप
- पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों को अब भी सीधा या परोक्ष समर्थन दे रहा है।
- पहलगाम आतंकी हमला, ड्रोन के जरिए हथियार भेजना, और सीमा पार आतंकियों की घुसपैठ के मामले इसके सबूत हैं।
- पाकिस्तान को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता का दुरुपयोग आतंकवाद के लिए हो रहा है।
- लंदन ब्रिज हमला और मॉस्को थिएटर ब्लास्ट जैसे हमलों के तार पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क से जुड़े हुए बताए गए हैं।
भारत क्या करने जा रहा है?
- जून 2024 में होने वाली FATF की बैठक में भारत यह मुद्दा आधिकारिक तौर पर उठाएगा।
- भारत FATF को विस्तृत डोज़ियर सौंपेगा, जिसमें पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग गतिविधियों और हालिया घटनाओं के सबूत होंगे।
- भारत दुनियाभर के FATF सदस्य देशों से समर्थन जुटा रहा है, ताकि यह प्रस्ताव सफल हो सके।
अगर पाकिस्तान फिर से ग्रे लिस्ट में डाला गया तो…?
- अंतरराष्ट्रीय कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा (IMF, वर्ल्ड बैंक जैसे संस्थानों से)।
- विदेशी निवेशक दूर हो जाएंगे।
- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव और बढ़ जाएगा।
- आर्थिक बदहाली, महंगाई, बेरोज़गारी और विदेशी मुद्रा संकट और गहरा सकता है।
FATF क्या है?
FATF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो देशों की मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग रोकने की प्रतिबद्धता की निगरानी करती है। इसमें तीन सूचियां होती हैं:
- व्हाइट लिस्ट – पूरी तरह अनुपालन करने वाले देश
- ग्रे लिस्ट – उच्च जोखिम वाले, लेकिन सुधार कर रहे देश
- ब्लैक लिस्ट – ऐसे देश जो आतंक की फंडिंग रोकने में असफल हैं (जैसे उत्तर कोरिया)
इतिहास क्या कहता है?
- पाकिस्तान 2018 से अक्टूबर 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में था।
- तब उसकी GDP, FDI और कर्ज प्राप्ति क्षमता को भारी नुकसान हुआ था।
- भारत और फ्रांस जैसे देशों ने उस समय भी FATF में कड़ा रुख अपनाया था।
निष्कर्ष: भारत की रणनीति क्या है?
यह पूरी योजना भारत की एक लंबी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसके ज़रिए वह पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर अकेला और शर्मिंदा करना चाहता है। भारत यह दिखाना चाहता है कि पाकिस्तान आतंक के खिलाफ लड़ाई में भरोसेमंद नहीं है और उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बिना सुधरने का कोई इरादा नहीं।