ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष के बीच भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार और वायु सेना पूरी तरह सतर्क है। पिछले पांच दिनों से दोनों देशों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों का सिलसिला जारी है, जिससे ईरान में मौजूद हजारों भारतीयों की जान को खतरा पैदा हो गया है। इस संकट के बीच भारतीय वायु सेना को ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया गया है। वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि वे पूरी तरह से तैयार हैं और जैसे ही केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलेगी, राहत अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
यह मिशन पूरी तरह से ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों की संख्या और उनकी भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि evacuees की संख्या कम होती है, तो भारतीय वायुसेना मीडियम कैपेसिटी वाला C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान भेजेगी, जो छोटी और असुविधाजनक हवाई पट्टियों पर भी उतरने में सक्षम है। वहीं, अगर बड़ी संख्या में नागरिक फंसे हुए हैं, तो C-17 ग्लोबमास्टर जैसे भारी मालवाहक विमान का प्रयोग किया जाएगा, जो अधिक लोगों को एक बार में निकालने की क्षमता रखता है।
भारतीय वायु सेना फिलहाल स्टैंडबाय मोड पर है और स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है। विदेश मंत्रालय (MEA) और रक्षा मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के जरिए जैसे ही आवश्यक मंजूरी प्राप्त होगी और सुरक्षित स्थान चिह्नित कर लिया जाएगा, रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। अधिकारी ने यह भी कहा कि छात्रों को किसी एक सुरक्षित स्थान पर एकत्रित करना आवश्यक होगा, ताकि निकासी अभियान को सुगमता से चलाया जा सके।
ईरान में अनुमानित 10,000 से अधिक भारतीय नागरिक मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश छात्र हैं, और बड़ी संख्या में ये जम्मू-कश्मीर से संबंध रखते हैं। भारत सरकार ने इन सभी भारतीयों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द तेहरान छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। यदि हालात और अधिक बिगड़ते हैं, तो एयरलिफ्ट ऑपरेशन के तहत छात्रों और अन्य नागरिकों को प्राथमिकता के आधार पर वापस भारत लाया जाएगा। सरकार इस स्थिति को अत्यंत गंभीरता से ले रही है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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