ईओएस-09 (RISAT-1B) सैटेलाइट की लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह सैटेलाइट भारतीय सेना की निगरानी और खुफिया क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देगा। आइए इस सैटेलाइट के फायदों और उपयोगिता को संक्षेप में समझते हैं:
ईओएस-09 (RISAT-1B) की विशेषताएँ:
- लॉन्च की तारीख: 18 जून 2025
- लॉन्च स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- लॉन्च वाहन: पीएसएलवी-सी61 एक्सएल
- कक्षा: 529 किमी ऊँचाई पर सूर्य-समकालिक कक्षा
- वजन: 1,710 किलोग्राम
- प्रौद्योगिकी: C-बैंड Synthetic Aperture Radar (SAR)
भारतीय सेना को मिलने वाले लाभ:
- ऑल-वेदर निगरानी:
SAR तकनीक के कारण यह सैटेलाइट बादल, धुंध और अंधकार में भी हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज भेज सकता है — यह सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ, आतंकवादी गतिविधियों और सैन्य तैनाती की निगरानी में बेहद मददगार होगा। - सीमा सुरक्षा में बढ़त:
भारत की पाकिस्तान और चीन सीमा पर वास्तविक समय में निगरानी संभव होगी, जिससे सेना को त्वरित प्रतिक्रिया में सहायता मिलेगी। - सैन्य योजना और मिशन सपोर्ट:
सेना को जियो-इंटेलिजेंस उपलब्ध होगी — टेरिन एनालिसिस, टारगेट लोकेशन, मूवमेंट मॉनिटरिंग आदि में। - आपदा प्रबंधन:
बाढ़, भूस्खलन, तूफान जैसी आपदाओं के समय राहत कार्यों के लिए सटीक लोकेशन आधारित डेटा मिलेगा। - प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी:
जल, वन और कृषि क्षेत्रों की निगरानी में भी इसका उपयोग होगा, जिससे रणनीतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
ईओएस-09: भारत के अंतरिक्ष रक्षा ढाँचे में क्यों अहम है?
- यह उपग्रह भारत की स्वदेशी खुफिया क्षमताओं को बढ़ाता है।
- रीसैट श्रृंखला भारत की “All-weather Imaging Satellite Series” है — यानी किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम।
- यह चीन के Ziyuan और पाकिस्तान के PRSS सैटेलाइट्स जैसी क्षमताओं का भारतीय विकल्प है।