BSF जवान पूर्णम कुमार साहू की पाकिस्तान से रिहाई: एक बड़ी कूटनीतिक सफलता
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23 अप्रैल 2025:
बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साहू, जो पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात थे, गलती से भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए।
उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया। -
भारत की सक्रियता:
भारत सरकार और BSF ने लगातार कूटनीतिक दबाव बनाते हुए जवान की रिहाई की मांग की।
मामला संवेदनशील था क्योंकि उसी समय पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था और भारत-पाक के संबंध बेहद तनावपूर्ण थे। -
14 मई 2025:
लगभग 20 दिन बाद, पूर्णम कुमार साहू को संयुक्त चेक पोस्ट, अटारी-अमृतसर के माध्यम से भारत को सौंपा गया।
यह स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार और शांतिपूर्ण तरीके से हुआ।
पाकिस्तानी जवान भारत के कब्जे में
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3 मई 2025:
भारत की सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे पाकिस्तानी रेंजर को राजस्थान के श्रीगंगानगर सेक्टर से BSF ने पकड़ा। -
यह मामला संभवतः भारत के पास कूटनीतिक बातचीत के दौरान दबाव बनाने का एक अहम जरिया बना।
महत्वपूर्ण विश्लेषण:
पहलू | विवरण |
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कूटनीतिक संदेश | भारत ने दिखाया कि वह अपने जवानों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करता है। |
सीमा पर संवेदनशीलता | दोनों देशों के जवानों द्वारा गलती से सीमा पार कर जाना आम है, लेकिन मौजूदा तनाव के बीच यह घटनाएं और संवेदनशील हो जाती हैं। |
रिलीज की टाइमिंग | पाकिस्तानी जवान की भारतीय हिरासत और भारतीय जवान की पाकिस्तानी हिरासत लगभग समांतर रहीं, जिससे मूक समझौते का भी संकेत मिलता है। |
क्या यह ‘जवानों की अदला-बदली’ थी?
हालाँकि आधिकारिक तौर पर इस तरह की कोई घोषणा नहीं हुई, लेकिन घटनाओं की टाइमलाइन और प्रकृति इस ओर इशारा करती है कि दोनों पक्षों ने कूटनीतिक बैलेंस साधते हुए “जवान के बदले जवान” की रणनीति अपनाई हो सकती है।
यह घटना इस बात की मिसाल है कि राजनयिक प्रयास, सीमा सुरक्षा बलों की तत्परता, और स्थापित प्रोटोकॉल के माध्यम से तनावपूर्ण माहौल में भी सुलझाव के रास्ते निकल सकते हैं।