संयुक्त राष्ट्र की “विश्व आर्थिक स्थिति व संभावना 2025” रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में 6.6% की वृद्धि दर्ज कर सकती है। यह प्रदर्शन मुख्यतः मजबूत निजी खपत, निवेश और बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च से प्रेरित होगा। दक्षिण एशिया की समग्र वृद्धि भी भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति से प्रभावित होगी। रिपोर्ट के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि:
- 2024: अनुमानित वृद्धि दर 6.8%।
- 2025: वृद्धि दर 6.6% रहने का अनुमान।
- 2026: पुनः 6.8% की दर से बढ़ने की संभावना।
इस वृद्धि में मुख्य योगदान निजी खपत, सार्वजनिक निवेश, और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े पूंजीगत व्यय का रहेगा, जिससे दीर्घकालिक गुणक प्रभाव उत्पन्न होगा।
कृषि उत्पादन और मानसून का प्रभाव:
- 2024 में अनुकूल मानसून के चलते सभी प्रमुख फसलों की बुवाई में सुधार हुआ।
- इसका प्रभाव 2025 में कृषि उत्पादन में वृद्धि के रूप में देखा जाएगा।
महंगाई और उपभोक्ता मूल्य:
- महंगाई दर:
- 2024 में 4.8%।
- 2025 में घटकर 4.3% पर आने का अनुमान।
- यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 2-6% लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगा।
रोजगार और लैंगिक असमानता:
- रोजगार संकेतक 2024 में मजबूत रहे।
- शहरी बेरोजगारी दर लगभग 6.6% (2023 में 6.7%) रही।
- महिला कार्यबल की भागीदारी में सुधार हुआ है, लेकिन लैंगिक असमानता अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- 2024 में दक्षिण एशिया लू, सूखा और अनियमित वर्षा जैसी जलवायु घटनाओं से प्रभावित हुआ।
- फसल उत्पादन में कमी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हुई।
- ग्रामीण गरीब परिवारों पर इसका असमान प्रभाव पड़ा, जिससे आय असमानता बढ़ी।
क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक प्रभाव:
- भारत, इंडोनेशिया, और वियतनाम जैसी अर्थव्यवस्थाओं में नई आपूर्ति श्रृंखलाओं ने घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्साहन दिया।
- सार्वजनिक क्षेत्र ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, डिजिटल संपर्क, और स्वच्छता व जल आपूर्ति जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास में अहम भूमिका निभाई।
दक्षिण एशिया में समग्र वृद्धि:
- 2025: दक्षिण एशिया में 5.7% की वृद्धि का अनुमान।
- 2026: वृद्धि दर बढ़कर 6.0% होने की संभावना।
- भारत के साथ भूटान, नेपाल, और श्रीलंका में आर्थिक सुधार भी योगदान देंगे।
यह रिपोर्ट भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और दक्षिण एशिया में इसके व्यापक प्रभाव को रेखांकित करती है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और लैंगिक असमानता जैसी चुनौतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित करती है।